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राजस्थान में यहां पेरेंट्स को भारी परेशानी...नहीं बन रहे जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र...कैसे होगा स्कूल में एडमिशन - death

अलवर. जिले सहित प्रदेश के सभी जिलों में 25 दिनों से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन रहे हैं. सरकारी पोर्टल में परेशानी आने के चलते एक दिन में आठ से दस ही प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं, जबकि प्रतिदिन सात से आठ हजार जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए रजिस्ट्रेशन होते हैं.

गांधी भवन

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Published : Mar 15, 2019, 2:41 PM IST

अलवर. जिले सहित प्रदेश के सभी जिलों में 25 दिनों से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन रहे हैं. सरकारी पोर्टल में परेशानी आने के चलते एक दिन में आठ से दस ही प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं, जबकि प्रतिदिन सात से आठ हजार जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए रजिस्ट्रेशन होते हैं.

शहरी क्षेत्र में नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषद में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के सभी पंचायत क्षेत्र में भी प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं. ऐसे में 25 दिनों से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बन पाने से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन सरकारी वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया जाता है.

उसके बाद संबंधित कार्यालय में फॉर्म भरकर आवेदन करना पड़ता है. जिस सरकारी वेबसाइट में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होता है या प्रमाण पत्र बनता है. वो बेव साइट दिनभर बंद रहती है या फिर एक दिन में आठ से 10 प्रमाण पत्र ही बनते हैं. अलवर जिले में प्रतिदिन पांच से छह हजार जन्म प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होते हैं. जबकि एक दिन में दो हजार के आस-पास मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए रजिस्ट्रेशन होते हैं.

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वहीं, अलवर के निजी स्कूलों में बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. प्रवेश के दौरान जन्म प्रमाण पत्र होना जरूरी है. ऐसे में बच्चों के परिजन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सरकारी कार्यालय में चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन पार्टल बंद होने के चलते प्रमाण पत्र नहीं बन रहे हैं.

जन्म प्रमाणपत्र के लिए अलवर नगर परिषद और जिले के अन्य कार्यालय में लोगों की लंबी कतार लगी रहती है. दिन भर लोग अधिकारियों के चक्कर लगाते हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं निकाला जाता है. नगर परिषद के अधिकारियों से पूछे जाने पर वे सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी का हवाला देते हैं. साथ ही कई बार इस मामले की सूचना जयपुर मुख्यालय में दी गई है, लेकिन उसके बाद भी विभाग की ओर से अब तक कोई कदम नही उठाया गाया है.

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