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अलवरः पशुओं में फैली बीमारी, जिला टीम पहुंची मौके पर

दिल्ली जयपुर हाइवे 8 पर बसे मुण्डनवाड़ा कलां ग्राम पंचायत के गांव शहजादपुर में शुक्रवार को ग्लेंडर्स रोग के बरखेलडेरिया मेलीआई जीवाणु से ग्रसित एक अश्व का यूथेनाईज नामक बीमारी के आने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया.

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Published : Nov 29, 2019, 9:02 PM IST

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पशुओं में फैली बीमारी

बहरोड़ (अलवर). जिले के बहरोड़ उपखंड के शहजादपुर गांव में ग्लेंडर्स रोग के बरखेलडेरिया मेलीआई जीवाणु से ग्रसित एक अश्व का यूथेनाईज नामक बीमारी के आने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया.

पशुओं में फैली बीमारी

बता दें कि मामले की जानकारी प्रशासन को देने के बाद अलवर से आई टीम की मौजूदगी में पशु चिकित्सकीय टीम द्वारा वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया गया. पशुरोग निदान केन्द्र जिला प्रभारी डॉ.राजेश चौधरी, मुण्डावर ब्लॉक पशुचिकित्सा प्रभारी डॉ. हवा सिंह और जालावास पशुचिकित्सा प्रभारी डॉ.पीसी यादव मौजूद रहे. पशु चिकित्सक पीसी यादव ने बताया कि अश्ववंशीय पशुओं में ग्लेंडर्स नामक रोग होता है. जिसके बरखेलडेरिया मेलीआई जीवाणु से आशुवंशीय पशुओं में होने वाले जीवाणुओं का संक्रमण मनुष्यों में भी फैल जाता है. जिसको लेकर जानकारी समयानुसार अश्वमंशी पशुओं की जांच सैंपल लिए जाकर जांच कराई जाती है.

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बता दें कि शहजादपुर गांव में लालाराम मेघवाल पुत्र आशाराम मेघवाल जो अश्व पालन करता है. जिसके अश्व की विभागीय टीम द्वारा अश्ववंशीय पशुओं में होने वाले रोग के जीवाणुओं की समय समय पर पशुचिकित्सा विभाग की और से जांच स्वरूप सैंपल लेकर एनआरसीई द्वारा २३ नवबर को सैंपल लिया गया था, जिसे एनआरसीई केन्द्र हिसार भेजा गया था. जिसका सैंपल पॉजेटिव पाये जानें की सूचना पाते ही जिला प्रशासन सकते में आ गया. जिस पर अश्व का यूथेलाईज किया जाना आवश्यक समझते हुए जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए मुण्डावर उपखंड स्तरीय अधिकारियों को भी अवगत करा 29 नवंबर को कार्यक्रम तय किया गया. जिसके अनुसार ग्लेंडर्स रोग के बरखेलडेरिया मेलीआई जीवाणु की पुष्टि होने पर अश्वपालक को रोग के विषय में अवगत कराते हुए वैज्ञानिक विधि से दर्द रहित मौत अश्व को दिये जानें के लिए राजी किया.

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वहीं शुक्रवार को मुण्डावर तहसीलदार सूर्यकान्त शर्मा, पशुरोग निदान केन्द्र जिला प्रभारी डॉ.राजेश चौधरी, बीसीएमएचओ बाबूलाल गोठवाल, स्थानीय सरपंच मनोरमादलीप यादव की मौजूदगी में पशुचिकित्सकीय टीम द्वारा गांव के बाहर अश्व को लाकर साबी नदी के पेटे में जेसीबी से गड्डा तैयार कराया गया. वहीं पशु चिकित्सकीय टीम द्वारा अश्व को वैज्ञानिक विधि से दर्द रहित मौत की प्रक्रिया करते हुए यूथेनाईज किया गया. तत्पश्चात अश्व के शव को गड्डे में डाल कर नमक के साथ अन्य पाऊडर डलवाकर दफनाया गया.

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बता दें कि अश्व का यूथेनाईज किये जाने के दौरान बड़ी संख्या में मौजूद ग्रामीणों में मनुष्यों में फैलने वाले रोग को लेकर आशंका बनी रही. जिस पर डॉ. राजेश चौधरी ने ग्रामीणों को बिमारी के लक्षणों की जानकारी देते हुए बताया कि मनुष्यों में इस रोग से होने वाले प्रभाव में मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, शरीर में अकडऩ, तेज सर दर्द, नाक में पानी बहना सहित जैसी स्थिति बनना बताया. वहीं दस किलो मीटर तक के दायरे के पचास प्रतिशत अश्ववंशीय (घोडा,खच्चर,गधा) पशुओं की जांच कर सैंपल लिए जाकर हिसार भिजवाना बताया. दिनभर चली कार्रवाई में कानूनगो विरेन्द्रसिंह, कानूनगो सुरेश यादव, हल्का पटवारी अजीत यादव, ग्राम विकास अधिकारी संजय यादव, पशुचिकित्सक डॉ. दिपांशु, डॉ. जयवीर सिंह, डॉ. दीपक गुप्ता मौजूद थे.

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