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टिड्डी दल ने किया अजमेर जिले में प्रवेश, अग्निशमन वाहनों के जरिए किया जा रहा उनका सफाया

अजमेर जिले में टिड्डी दल का प्रवेश हो गया है. जिससे निपटने के लिए कृषि विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं. कृषि विभाग ने टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं. साथ ही ग्रामीण इलाकों में टिड्डी के प्रकोप से किस तरह से बचा जाए, इसको लेकर किसानों को भी दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं.

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Published : May 13, 2020, 12:43 PM IST

Locust entered Ajmer district, Grasshopper attack in ajmer
टिड्डी दल ने किया अजमेर जिले में प्रवेश

अजमेर. जिले में टिड्डियों के प्रवेश के बाद कृषि विभाग सतर्क हो गया है. टिड्डी दल के ब्यावर में ठहराव के बाद अग्निशमन वाहनों के जरिए उनका सफाया किया जा रहा है. टिड्डियों के एक दल ने बाड़ी घाटी से अजमेर जिले में प्रवेश किया था. जो पुष्कर, बासेली, कड़ेल से होता हुआ अजमेर पहुंचा. टिड्डियों के दूसरे दल ने मकराना, कुचामन, रूपनगढ़ से प्रवेश किया. इसके अलावा हवा का रुख बदलने से कुचामन और बाड़ी घाटी में प्रवेश करते हुए टिड्डी चारों ओर फैल गई.

टिड्डी दल ने किया अजमेर जिले में प्रवेश

वहीं ब्यावर से फतहगढ़ पाली जिले में टिड्डी दल के रुकने की जानकारी कृषि विभाग को मिली तो कृषि विभाग की ओर से कंट्रोल रूम को स्थापित किया गया है. ग्रामीण इलाकों में टिड्डी के बारे में सूचना देने के लिए कंट्रोल रूम को स्थापित किया गया है. जिसका नंबर 26419900 है. यह कंट्रोल रूम 24 घंटे चालू है. वहीं ग्रामीण इलाकों में टिड्डी के प्रकोप से किस तरह से बचा जाए, इसको लेकर किसानों को भी दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं.

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कृषि विभाग के उपनिदेशक वीके शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि साल 2019 में भी टिड्डी दल का प्रकोप रहा था. जिसके अनुसार 2020 में इसकी तादाद काफी अधिक होने की आशंका जताई जा रही थी. वहीं टिड्डी दल ने इस बार पाकिस्तान, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर से होते हुए अजमेर में प्रवेश किया. शर्मा ने बताया कि इस बार टिड्डियों की तादाद बहुत बड़ी संख्या में थी. अजमेर में 1993 में टिड्डी ने अटैक किया था, इतनी बड़ी संख्या में टिड्डियों के समूह को पहली बार देखा गया है.

कपास और चारे को हुआ अधिक नुकसान

इस समय कपास और चारे की बुवाई की गई है. इसके साथ ही हरी सब्जियां की भी अधिक मात्रा में बुवाई की गई है. टिड्डियों ने इनको नुकसान पहुंचाने का कार्य किया है. टिड्डी नियंत्रण को लेकर शर्मा ने बताया कि क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 एमएल अथवा डेल्टामेथ्रीन 2.8 ईसी 480 एमएल अथवा लेम्बडा सायहॅलोथ्रीन 5 प्रतिशत ईसी 400 एलएल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जा सकता है.

संसाधन रहे उपलब्ध

शर्मा ने बताया कि कृषि अधिकारी व टीम के सदस्य मुस्तैद रहे. जिनमें 5 फायर ब्रिगेड 23 ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर नियंत्रण दल की 8 गाड़ियां और कृषि विभाग के 12 दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. जहां लगातार ग्रामीण इलाको में जहां टिड्डियों का ठहराव हुआ है. वहां बचाव राहत कार्य जारी है.

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