कोटा.दादाबाडी निवासी स्वंतत्रता सेनानी आनंद लक्ष्मण खांडेकर का शुक्रवार को निधन हो गया. खांडेकर महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर जीवन यात्रा पूर्ण कर गांधी जयंती पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन पर प्रदेश के बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की और इसे बड़ी क्षति बताया है. खांडेकर का का जन्म 8 जून 1926 को बारां जिले में हुआ और इन्होंने मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण की. खांडेकर ने अपना संपूर्ण जीवन समाज सेवा में व्यतीत किया। चाचा केशवराव से प्रेरित होकर समाज सेवा को जीवन का अंतिम लक्ष्य बनाया और उसको पूर्ण करते हुए खांडेकर ने 93 वर्ष में आखरी सांस ली. खाडेकर ने महज 13 साल की उम्र में ही खादी बाना ओढ़ लिया था. उन्होंने होश संभाला तो पूरा मुल्क मां भारती को अंग्रेज हुक्मरानों से आजाद कराने के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने के लिए लालायित था.
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उन्होंने भी अपना जीवन मातृभूमि को अर्पित करने की शपथ ली और किसान आंदोलनों से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत की. 1939 का साल आते-आते वह प्रजामंडल से जुड़ गए और आजादी के लिए हाड़ौती में होने वाले आंदोलनों में शिरकत करने लगे. खांडेकर उस दौर में हाड़ौती का इलाका क्रांतिकारियों की शरण स्थली बना हुआ था. यहां के लोग उन्हें न सिर्फ छिपने के लिए जगह देते थे, बल्कि आर्थिक तौर पर भी पूरी मदद करते थे. सन 1942 में कोटा कोतवाली पर तीन दिन तक तिरंगा फहराने की घटना ने उनमें नई ऊर्जा भर दी और वह पहले से ज्यादा सक्रिय हो गए. उनका संघर्ष 15 अगस्त 1947 के बाद भी जारी रहा और वह गोवा मुक्ति आंदोलन से जुड़ गए। गोवा को आजाद कराने के लिए वह कई सालों तक वहीं डेरा जमाए रहे है. मुख्यमंत्री अशोक गहलाेत ने आनन्द लक्ष्मण खांडेकर के निधन पर व्यक्त किया है.
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