कोटा.मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएशन के साथ ड्यूटी कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों के स्वास्थ्य को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission) ने चिंता जताई है. इमरजेंसी होने पर भी उन्हें छुट्टी और वीकली ऑफ नहीं मिलते हैं. इसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. यहां तक कि इन रेजिडेंट डॉक्टरों से घंटों काम करवाया जा रहा है.
इन सभी मुद्दों को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन ने देश के सभी सरकारी व निजी मेडिकल संस्थानों को दिशा-निर्देश बुधवार को जारी किए हैं. इसमें एनएमसी ने जिक्र किया है कि मेडिकल संस्थानों में कार्यरत पोस्टग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट्स पर अत्यधिक कार्यभार, वीकली ऑफ की अनुपलब्धता व आपात-परिस्थितियों में भी छुट्टियां नहीं मिलने की शिकायतें लगातार सुर्खियां बटोरती हैं. इन परेशानियों के चलते मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स मानसिक तनाव व डिप्रेशन का शिकार होते (Mental health of resident doctors) हैं.
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मेडिकल एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स की इन शिकायतों पर पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड ने गहन विचार विमर्श के बाद सभी मेडिकल संस्थानों को वीकली ऑफ व आवश्यक होने पर छुट्टियों की उपलब्धता की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स को कार्यस्थल पर तनाव मुक्त व पॉजिटिव एनवायरमेंट देना मेडिकल संस्थानों का दायित्व है. मेडिकल संस्थान कमेटी का गठन करें. इस कमेटी के मेडिकल पीजी स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण के लिए उठाए गए कदमों (Steps for mental health of resident doctors) को एनएमसी के पोस्ट ग्रेजुएशन मेडिकल एजुकेशन बोर्ड को सूचित करें. पीजी स्टूडेंट्स के लिए नियमित योग कक्षाएं लगाने की भी हिदायत दी गई है.