कोटा.प्रदेश में बिजली की दरें 10 से 11 फीसदी के करीब बढ़ा दी गई हैं. इससे हर आम से लेकर खास उपभोक्ता तक को फर्क पड़ेगा, जो कम बिजली से लेकर हजारों यूनिट तक की खपत करते वाले उपभोक्ता के बिलों में करंट दौड़ेगा. लेकिन बात की जाए बिजली कंपनी की तो वह भी लगातार घाटे में ही चल रही है. सरकार की मंशा के अनुरूप बिजली की चोरी यानि छीजत नहीं रुक पा रही है.
हालात ऐसे हैं कि कई जिलों में बिजली की छीजत लगातार बढ़ ही रही है, जिससे की सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने हाड़ौती के शहरी क्षेत्रों में बिजली की छीजत के आंकड़े जुटाए, तो सामने आया कि 29 फीसदी बिजली चोरी में ही चली जाती है. पिछले साल 26 से ये 3 फीसदी बढ़ी है, जिसका खामियाजा समय से बिल जमा करने वाले उपभोक्ता को ही उठाना पड़ रहा है.
यह भी पढ़ेंः पुलवामा का 'दर्द': कोटा के शहीद हेमराज मीणा का परिवार उस भयावह मंजर को याद कर सिहर उठता है...
संभाग की कुछ नगर परिषद या नगर पालिकाओं को छोड़ दें तो बाकी सब में आंकड़ा बिजली की छीजत का बढ़ता ही नजर आ रहा है. इससे साफ है कि बिजली चोरी रोकने में विभाग नाकाम ही नजर आ रहा है. कोटा जिले में जहां पर 29, बारां में 39, बूंदी में 19 और झालावाड़ में 32 फीसदी बिजली चोरी में चली जाती है.
सबसे ज्यादा झालावाड़ जिले में बढ़ी...
बिजली चोरी की बात की जाए तो साल 2018 से 2019 में झालावाड़ जिले में बिजली चोरी 10 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गई है. झालावाड़ शहर में तो 15 फीसदी बिजली की चोरी 1 साल में बढ़ी है. इसके चलते झालावाड़ शहर बिजली चोरी में अव्वल 49 फीसदी के साथ बना हुआ है. इसके अलावा झालरापाटन, अकलेरा, भवानीमंडी और पिड़ावा एरिया में भी बिजली चोरी बढ़ गई है.
बारां जिला बिजली चोरी में, संभाग में अव्वल...
बारां जिला बिजली चोरी में संभाग में अव्वल है. यहां पर 39 फीसदी बिजली चोरी या छीजत में चली जाती है. बारां शहर की बात की जाए तो पिछले साल के यहां पर 44 फीसदी बिजली चोरी होती थी. हालांकि इस साल यह कम होकर 36 फीसदी रह गई है. अंता शहर में 4 फीसदी सीजन कम हुई है, लेकिन मांगरोल में 16 फीसदी और छबड़ा में 10 फीसदी बिजली चोरी पिछले साल की अपेक्षा बढ़ गई है.