कोटा.शहर में रेमडेसीवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मामला सामने आया था, जिसमें नर्सिंगकर्मी और एक निजी लैब के कार्मिक ने इंजेक्शन बेचने का प्रयास किया. इसके डिकॉय ऑपरेशन के बाद आरोपी मनोज कुमार रेगर और राकेश कुमार रेगर के खिलाफ पुलिस जांच कर रही थी, लेकिन पुलिस की इस जांच में लीपापोती करने का मामला सामने आ रहा है क्योंकि 5 दिन की जांच के बावजूद भी पुलिस को यह पता नहीं चला है कि झालावाड़ रोड स्थित कोटा हार्ट इंस्टिट्यूट श्रीजी अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों के इंजेक्शन चुराए गए हैं. उनमें से एक की मौत हो गई है. महिला मरीज माया का इंजेक्शन 13 मई को चुराने की बात सामने आई है और 15 तारीख को उसकी मौत हो गई. उसके बावजूद पुलिस दोनों मरीजों को स्वस्थ होकर डिस्चार्ज होना बता रही थी.
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इस संबंध में कोटा शहर पुलिस के महावीर नगर थाने के एएसआई विष्णु कुमार पंकज का कहना था कि जिन दो मरीजों के ग्लूकोज यानी पानी के इंजेक्शन लगाए गए थे, दोनों अस्पताल से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो गए थे, लेकिन जब ईटीवी भारत ने इस पूरे प्रकरण की पड़ताल की तो सामने आया कि एक मरीज माया की मौत 15 मई को ही हो गई थी और दूसरे मरीज रतनलाल गंभीर रूप से अस्पताल में ही आईसीयू में भर्ती है. जबकि आरोपी मनोज कुमार रेगर को अस्पताल में आरोपियों को ले जाकर तस्दीक की थी. वहीं आरोपी 4 दिनों से पुलिस रिमांड पर चल रहे थे.
गलत जानकारी पर पुलिस ने क्यों नहीं की पुष्टि
अस्पताल प्रबंधन ने हालांकि जो रिकॉर्ड पुलिस को दिया है, उसमें रोड नंबर 1 इंद्रप्रस्थ इंडस्ट्रियल एरिया में रहने वाली माया का परिजनों का मोबाइल नंबर गलत था, लेकिन जब पुलिस यह बयान दे रही थी कि दोनों मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं. पुलिस ने उन दोनों मरीजों के परिजनों से बात होने की बात भी कही, जबकि दोनों मरीजों में से एक की मौत हो गई है और दूसरा मरीज आईसीयू में गंभीर स्थिति में है. इससे साफ है कि पुलिस जांच में लीपापोती की गई है. अस्पताल प्रबंधन की जानकारी की पुष्टि पुलिस ने नहीं की.
सोशल मीडिया पर चली अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग
सोशल मीडिया पर कोटा के स्थानीय लोगों ने मुहिम छेड़ दी है, जिसमें अस्पताल पर भी कार्रवाई की मांग की जा रही है. कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी अस्पताल में यह दोनों ही मरीज भर्ती थे, जिनके रेमडेसीविर इंजेक्शन को नर्सिंग कर्मी मनोज कुमार रेगर ने चुरा लिया था और कालाबाजारी करते हुए वह इन्हें बेचने की फिराक में था. हालांकि इसके पहले ही वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया था, लेकिन जिन दो मरीजों के इंजेक्शन चुराए गए हैं, उनमें से एक की मौत हो गई है. इसके चलते शहर वासी आक्रोश में है और उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए अस्पताल प्रबंधन पर भी कार्रवाई करने की मांग की है. हालांकि जब इस मामले में जिस मरीज को इंजेक्शन चुराए गए हैं और उसकी मौत हो गई है, तो गैर इरादतन हत्या का मामला भी इसमें बनता है. ऐसे में पुलिस भी इस मामले में आगे जाकर कई धाराओं को जोड़ सकती है.