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74 साल पहले खरीद की गई जमीन पर राजस्व मंडल का फैसला, HC ने फैसले पर लगाई रोक

राजस्व मंडल की ओर से भूमि मालिक को बिना पक्षकार बनाए एवं बिना किसी को नोटिस जारी किए 74 साल पूर्व खरीद की गई जमीन पर प्रार्थना पत्र पेश होने के दूसरे ही दिन प्रार्थी के हक में किए गए फैसले को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई.

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Published : Apr 20, 2021, 10:38 PM IST

जोधपुर. राजस्व मंडल की ओर से भूमि मालिक को बिना पक्षकार बनाए एवं बिना किसी को नोटिस जारी किए 74 साल पूर्व खरीद की गई जमीन पर प्रार्थना पत्र पेश होने के दूसरे ही दिन प्रार्थी के हक में किए गए फैसले को राजस्थान उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. वरिष्ठ न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए राज्य के मुख्य सचिव, राजस्व मंडल, पाली तहसीलदार और अन्यों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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अमृत श्री प्रॉपर्टीज ने रिट याचिका दायर कर कहा कि वर्ष 1947 में जोधपुर के गोवर्धन लाल काबरा ने पाली में स्थित जमीन फकीर मोहम्मद से खरीद की और खरीददार के नाम गिरदावरी दर्ज हो गई. काबरा की मृत्यु के बाद उनके विधिक प्रतिनिधि के नाम से 1974 में नामांतरण दर्ज हो गया. वर्ष 1985 में इसे लेकर व्यू गृह निर्माण सहकारी समिति को बेच दिया गया.

वर्ष 1990 में रजिस्टर्ड बेचान से यह जमीन राजस्थान प्रॉपर्टीज को बेची गई. 31 जुलाई 2003 को यह जमीन याची अमृत श्री प्रॉपर्टीज ने खरीद कर ली. वर्ष 2019 में फकीर मोहम्मद के विधिक प्रतिनिधि मोहम्मद अली और अन्यों ने राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के तहत सहायक कलेक्टर पाली के समक्ष दावा पेश किया कि ये जमीन तो उनकी है.

याचिकाकर्ता अमृत श्री प्रॉपर्टीज की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नरपत मल लोढ़ा ने कहा कि गत 9 मार्च को मोहम्मद अली और अन्यों ने राजस्व मंडल के समक्ष काश्तकारी अधिनियम की धारा 221 के तहत राज्य सरकार जरिए तहसीलदार पाली को पक्षकार बनाते हुए प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि राजस्व रिकॉर्ड में खरीददार का नाम गलत इंद्राज हुआ है, इसलिए उनका नाम दर्ज किया जाए.

राजस्व मंडल सदस्य सुनील कुमार शर्मा ने मिली भगत करते हुए प्रार्थना पत्र पर दूसरे ही दिन 25 मार्च 2021 को फैसला देते हुए सभी के नाम हटाकर जमीन मोहम्मद अली के नाम इंद्राज करने के निर्देश दिए. वरिष्ठ अधिवक्ता लोढ़ा ने कहा कि प्रथम बेचान के 74 साल बाद खरीददार को पक्षकार बनाए बिना और नोटिस जारी किए बगैर ऐसा फैसला भी किया जा सकता है, कोई सोच भी नहीं सकता है.

उन्होंने कहा कि फैसला करने वाला वही महानुभाव है, जिसे हाल ही में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दलाल के जरिए रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है. इस पर राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्व मंडल के सदस्य सुनील कुमार शर्मा की ओर से 25 मार्च 2021 के पारित आदेश के क्रियान्वयन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश पारित करते हुए राज्य के मुख्य सचिव, राजस्व मंडल, पाली तहसीलदार और मोहम्मद अली और अन्यों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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