जोधपुर. बार काउंसिल ऑफ राजस्थान की आपात बैठक शनिवार को जोधपुर के बार काउंसिल कार्यालय में आयोजित हुई. इस बैठक में सर्वसम्मति से अधिवक्ता विधि संशोधन 2020 बिल का विरोध किया गया. साथ ही अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा कोरोना वायरस के हालात को देखते हुए जो आवश्यक कदम उठाए गए हैं, उसके अनुरूप न्यायालय में भी सिर्फ आवश्यक मामलों की सुनवाई ही करने के संदर्भ में राजस्थान हाईकोर्ट को पत्र लिखा है.
राजस्थान बार काउंसिल ने आयोजित की आपात बैठक बैठक में विधानसभा में पारित बिल का विरोध करते हुए इस पर पुनर्विचार करने का प्रस्ताव पारित किया गया. बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष सैयद सईद हसन ने बताया कि हाल ही में राजस्थान सरकार ने अधिवक्ता विधि संशोधन 2020 बिल को पास किया है, लेकिन इस बिल में बार काउंसिल के प्रावधानों के विपरीत जाकर कई प्रस्ताव शामिल किए गए हैं. जिससे पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं में भारी रोष है.
हसन ने बताया कि इस बिल में आजीवन वेलफेयर फंड की राशि को 1 लाख रुपये करने के प्रस्ताव पर आपत्ति दर्ज कराई गई. वहीं बैठक में सर्वसम्मति से मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने का भी प्रस्ताव पारित हुआ. इस पत्र में कोरोना वायरस के चलते अदालतों में भीड़ कम करने को लेकर कई सुझाव दिए गए हैं. हसन ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश से मांग की जाएगी कि अदालतों में अति आवश्यक मामलों की सुनवाई की जाए और अन्य मामलों में तारीख दी जाए.
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साथ ही कोर्ट में आने-जाने वालों को पास इश्यू नहीं किया जाए. साथ ही रिमांड के लिए अभियुक्तों को पेश की जाने की अनिवार्यता को हटाया जाए, ताकि अदालतों में कम से कम भीड़ हो. हसन ने कहा कि यदि कोरोना ज्यादा सक्रिय होता है तो निचली अदालतों और हाइकोर्ट को 30 मार्च तक बंद करना चाहिए.