जोधपुर. महिलाओं के लिए उनके बाल गहने की तरह होते हैं. बालों से ही उनका सजना संवरना दिखता है, लेकिन दुर्भाग्य से जिन महिलाओं को कैंसर जैसी असाध्य बीमारी हो जाती है उन्हें अपने बालों से हाथ धोना पड़ जाता है. कई मामलों में तो महिलाओं के बाल वापस भी नहीं आते हैं. ऐसे में बाल नहीं आने पर कई बार महिलाएं कहीं आना जाना बंद कर देती हैं यहां तक कि लोगों से बात करना भी छोड़ देती हैं.
कैंसर पीड़ित महिलाओं के लिए केशदान ऐसी महिलाओं के लिए 'प्रोटेक्ट योर मॉम' संस्था मददगार बनकर उभरी है. इस संस्था में महिलाएं और युवतियां अपने बाल दान करती हैं जिससे विग तैयार कर ऐसी महिलाओं को भेजा जाएगा जो इसे खरीदने में असमर्थ हैं. लोगों को प्रोटेक्ट योर मॉम संस्था से जोड़ने के लिए जोधपुर केनल क्लब के सदस्य इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
कैंसर जैसी असाध्य बीमारी का इलाज काफी कठिन और कष्टप्रद होता है. खासतौर से किसी महिला को यह बीमारी हो जाए तो उसे अपने बाल तक गंवाने पड़ जाते हैं. कीमोथेरेपी के दौरान ज्यादातर कैंसर पीड़ित महिला के बाल या तो काट दिए जाते हैं या फिर खुद ही गिर जाते हैं. कैंसर से पीड़ित ऐसी महिलाएं जो विग नहीं खरीद सकती हैं, उनके लिए संस्थाएं इसे निशुल्क उपलब्ध करवाती हैं. विग बनाने के लिए संस्था के माध्यम से महिलाएं अपने केशदान करती हैं.
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4 फरवरी विश्व कैंसर दिवस के मौके पर जोधपुर में भी महिलाओं ने उन पीड़ित महिलाओं के लिए अपने बाल दान किए हैं. यह पहला मौका था जब 30 से ज्यादा महिलाओं ने अपने लंबे-घने बालों का दान अपनी उन बहनों के लिए किया जो कैंसर से पीड़ित हैं और बाल न होने से समाज से कट रही हैं. जोधपुर कैनल क्लब की ओर से महिलाओं को जागरूक कर यह केश दान करवाया गया. राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल की मौजूदगी में यह अनूठा केशदान कार्यक्रम हुआ. बेनीवाल ने भी इसके प्रति सभी महिलाओं और बालिकाओं का आभार जताया जिन्होंने यह पूनीत कार्य करने का निर्णय लिया.
जरूरतमंदों को मिलेगा निशुल्क विग सबके अनुभव से प्रेरित हुई
जिन-जिन महिलाओं और युवतियों ने अपने बाल दान किए. उनमें ज्यादातर कैंसर पीड़ितों महिलाओं से मिल चुकी हैं और उनके इस दर्द को समझती भी हैं. 72 वर्षीय पुष्पा कल्ला बताती हैं कि उनके परिवार में ही एक महिला हैं जिनके बाल कैंसर के इलाज के दौरान गिर गए थे. इस कारण उन्होंने कहीं भी आना जाना छोड़ दिया था, किसी से बात भी नहीं करती थी. 11 साल की प्रतिष्ठा ने बताया कि एक बार वह ट्रेन में सफर कर रहीं थीं तो साथ बुजुर्ग महिला बैठी थी जिनके बाल नहीं थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि मुझे कैंसर है जिस कारण बाल गिर गए.
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उन्होंने जब पूछा कि अब बाल कैसे आएंगे तो महिला ने कहा कि आप जैसे लोग जब विग के लिए बाल दान करेंगे तो ही यह हो पाएगा. प्रतिष्ठा का कहना था कि उस दिन मैंने तय कर लिया था कि मैं अपने बाल जरूर दान करूंगी. इसी तरह से प्रतिभा राजपुरोहित ने बताया कि वह भी ऐसी पीड़ित महिला से मिल चुकी हैं और 2 साल से बाल दान करने के लिए सोच रहीं थी. अब वह भी अपने बाल दान करने जाएंगी.
12 इंच बाल होते हैं दान
जोधपुर कैनल क्लब से जुड़े सुमित माहेश्वरी ने बताया कि वह रेगुलर ब्लड डोनर है. कैंसर पीड़ितों को एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट्स) की आवश्यकता होने पर कई बार ब्लड बैंक गए हैं. इस दौरान ही ऐसी महिलाओं से मुलाकात हुई जो कैंसर के बाद बाल नहीं रहने से परेशान रहती हैं. इसके बाद अपने क्लब के मार्फत यह कार्य करने की ठान ली. क्लब से एकत्र हुए सारे बाल 'प्रोटेक्ट योर मॉम' नामक संस्था को भेजे जाएंगे. यह संस्था विग बनाकर उन महिलाओं को भेजेगी जो इसे खरीदने में असमर्थ हैं.