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Special : संजीवनी के निवेशक बोले- CMD कहते थे, 'शेखावत हमारे साथ, नहीं डूबेगा पैसा'

जयपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. जिसके बाद 'संजीवनी' के पीड़ित निवेश मुखर हो गए हैं. उनका आरोप है कि सोसाइटी के सीएमडी विक्रम सिंह इंद्रोई शेखावत के रिश्तेदार हैं और सोसाइटी के हर बडे़ कार्यक्रम में शरीक होते थे. इतना ही नहीं, सीएमडी मीटिंग में एजेंटों से कहते थे कि आप लोग बिना डर के पैसा निवेश कीजिए, शेखावत जी हमारे साथ हैं. देखिये ये रिपोर्ट...

संजीवनी क्रेडिट सोसायटी घोटाला मामला,  संजीवनी क्रेडिट सोसायटी से जुड़ी खबर
संजीवनी के निवेशकों का बड़ा बयान

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Published : Jul 27, 2020, 7:30 PM IST

जोधपुर.क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के खिलाफ जांच में जुटी एसओजी ने तीसरी बड़ी कार्रवाई हुए संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी लि. के सीएमडी विक्रम सिंह इंद्रोई को गिरफ्तार कर लिया है. साल 2007 में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव की बाड़मेर से शुरुआत हुई थी. अब एसओजी ने 1100 करोड़ रुपए के घोटाले के मामले में संजीवनी क्रेडिट के सीएमडी को गिरफ्तार कर लिया है, साथ ही राजस्थान और गुजरात की 237 शाखाओं पर ताले लग गए हैं.

संजीवनी के निवेशकों का बड़ा बयान

884 करोड़ रुपए का घोटाला...

एसओजी ने करोड़ों रुपए के घोटाले में साल 2019 में 32 नंबर की एक FIR दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाए गए थे कि शिकायतकर्ता की तरफ से लाखों रुपए सोसायटी में लगाए गए थे और यह पैसा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार जनों की कंपनियों में लगाया गया. इसके साथ ही पीड़ितों द्वारा निवेश किया गया पैसा शेखावत और उनके साथियों के अकाउंट में जमा होना बताया गया.

विक्रम सिंह से साथ गजेंद्र सिंह शेखावत

जयपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित अन्य के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. जांच के आदेश जारी करने के बाद संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के पीड़ित निवेश मुखर हो गए हैं और कहने लगे हैं कि हमें धोखे में रखा गया.

यह भी पढ़ें :को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला : केंद्रीय मंत्री शेखावत के खिलाफ जांच के आदेश

निवेशकों का आरोप है कि सोसाइटी के सीएमडी विक्रम सिंह इंद्रोई सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत के रिश्तेदार हैं. सोसाइटी के हर बडे़ कार्यक्रम में शेखावत शरीक होते थे. इतना ही नहीं, शेखावत का जन्मदिन भी अभिकर्ताओं के साथ मनाया जाता था. सीएमडी मीटिंगों में एजेंटों से कहते थे 'आप लोग बिना डर के पैसे निवेश कीजिए. शेखावत जी हमारे साथ हैं.

सीएमडी खुद कहते थे कि शेखावत हमारे साथ हैं...

इतना ही नहीं यह भी कहा जाता था कि जोधपुर के मानजी के हत्था स्थित प्रोजेक्ट 'आनंदा' से इतना पैसा मिलेगा कि सबको लाभ मिलेगा. पैसा डूबने का कोई चांस ही नहीं है. संजीवनी पीड़ित संघ के अध्यक्ष शंति स्वरूप बताते हैं 'सीएमडी खुद कहते थे कि शेखावत हमारे साथ हैं. उनके जन्मदिन हमारे संजीवनी कार्यालय में मनाए जाते थे. यहां तक कि जब सोसायटी डूबी तो हम शेखावत से मिले भी थे. उन्हेांने हमें आश्वस्त भी किया था कि सब ठीक हो जाएगा. आपका पैसा वापस मिल जाएगा.'

वहीं, संजीवनी के एजेंट रहे लोकेंद्र सिंह का कहना है 'वे एजेंट के रूप में काम करता थे. सीएमडी के कहने पर लोगों का एक करोड़ रुपए निवेश करवाया था. हमें बताया गया कि शेखावत हमारे साथ हैं, इथोपिया के फार्म हाउस हैं, आनंदा बिल्डिंग भी है, डरने की कोई बात नहीं है. लेकिन अब निवेशकों ने मेरा जीना मुहाल कर दिया है. संजीवनी में करीब एक करोड़ रुपए निवेश करने वाले पारसमल जैन का भी यही कहना है कि शेखावत को संजीवनी का मुखिया बताया जाता था.

गौरतलब है कि 21 जुलाई को जयपुर की अदालत ने जिस प्रार्थना पत्र पर आदेश जारी किया है, उसमें यह आरोप लगाया गया है कि विक्रम सिंह ने संजीवनी के पैसों से गजेंद्र सिंह शेखावत उनके सहयोगियों की कंपनियों में भागीदारी खरीदी. जिससे सीधा फायदा शेखावत का हुआ है, ऐसे में उनकी भूमिका की जांच की जाए. जिस पर कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं.

कूटरचित हस्ताक्षरों से ऋण बांट दिया...

एसओजी की जांच में सामने आया कि जिन व्यक्तियों के नाम ऋण स्वीकृत किया गया है. जांच में उन व्यक्तियों के कूट रचित हस्ताक्षर सामने आए. 1100 करोड़ रुपए ऋण बांटना दर्शाया गया है जो अपने आप में संदेह के घेरे में है. ऐसे में एसओजी की टीम पूरे मामले में रिकॉर्ड की जांच कर रही है.

यह भी पढ़ें :संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के मुखिया रहे विक्रम सिंह के साथ शेखावत के रहे हैं घनिष्ठ संबंध

एसओजी ने लंबी जांच के बाद इस मामले में चार्जशीट दायर की थी. उस समय शेखावत या फिर उनके नाम की कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच इस मामले में नया मोड़ का आना राजनीतिक घटनाक्रम से भी जुड़ा माना जा रहा है.

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