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गंभीर लापरवाही : एसडीपी मशीन ऑपरेट नहीं कर पाया टेक्नीशियन, VIDEO कॉल लगा कर सीनियर से पूछता रहा...रक्तदाता की जान पर बन आई

जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां अस्पताल के स्टाफ कि वजह से रक्तदाता कि जान बन आई. जहां सरकार 24 घंटें इमरजेंसी सेवाओं का दावा करती है वहीं शनिवार रात जब एक सात साल की बच्ची को रक्त ट्रांसफर की जरूरत होने पर इसे ट्रेंड टेक्नीशियन नहीं मिल सका, और जो ब्लड ट्रांसफर कर रहा था वो वीडियो कॉल पर अपने सीनियर से लगातार जानकारी ले रहा था.

जोधपुर न्यूज, jhodpur news

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Published : Oct 28, 2019, 12:04 AM IST

जोधपुर.जिले में हर दिन डेंगू पांव पसार रहा है, डेंगू मरीजों की प्लेटलेट कम होने पर उन्हें सिंगल डोनर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती है. जिसके लिए रक्तदाता को ब्लड बैंक जाना होता है. शहर के ब्लड डोनर्स ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य इसमें लगातार भागीदारी निभा रहे हैं. लेकिन, उम्मेद अस्पताल की ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली के चलते शनिवार को एक रक्तदाता की जान पर बन आई.

उम्मेद अस्पताल में गंभीर लापरवाही

टेक्नीशियन नहीं जानता था मशीन चलाना
रक्तादाता विशाल जैन जब एक सात वर्ष की बच्ची के लिए एसबीपी देने पहुंचे, तो पहले उन्हे इंतजार करना पड़ा. उसके बाद जब एसडीपी शुरू की गई तो प्लेट के लिए 3 बेग होते हैं, जिनमें रक्त के अलग-अलग अवयव एकत्र होते है लेकिन, वहां मौजूद टेक्नीशियन मशीन चलना ही नहीं जानता था, इसके चलते बड़ी चूक हो गई.

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टेक्नीशियन कार्य के बीच में बार-बार वीडियो कॉल कर अपने सीनियर प्रोसेस पूछ रहा था, जिसका रक्तदाता के साथी ने वीडियो बना लिया. जिसमें साफ नजर आ रहा है कि वह मशीन दिखा कर पूछ रहा था. इस दौरान सभी बेग रक्त से भर गए, जिसके चलते एसडीपी बन्द करनी पड़ी.

अस्पताल प्रशासन ने मिलने से किया इंकार
ऐसा दुबारा नहीं हो इसकी शिकायत करने जब रक्तदाता रविवार को कार्यवाहक अधीक्षक डॉ बीएस जोधा को मिलेने अस्पताल पहुंचे, तो उन्होंने मिलने से इंकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने कहा कि पुलिस की मौजूदगी में वह 5 लोगों से मिलेंगे, जिसका रक्तदाताओं ने विरोध जताया और नारेबाजी भी की.
वहीं ब्लड डोनर्स ऑर्गेनाइजेशन के हेमंत शर्मा ने बताया कि दोबारा ऐसी घटना नहीं हो, इसके लिए अधीक्षक से मिलने आए लेकिन, उनको हमारे लिए समय नहीं है. जबकि, हम बिना किसी लाभ के मानवता की सेवा कर रहे हैं.

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उम्मेद अस्पताल में अक्सर आती है लापरवाही सामने

ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य विशाल डेविड ने बताया कि यह पहली बार नहीं हुआ है, हर बार उम्मेद अस्पताल में परेशानी आती है. लेकिन, हम जनहित में कभी भी इस मामले को तूल नहीं देते हैं. जबकि हम प्रतिदिन 30 से 35 तक दाताओं को भेजकर सरकारी अस्पतालों में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स उपलब्ध करवा रहे हैं. सरकारी संस्थान हमारा सहयोग नहीं कर रहे हैं.

वहीं घटनाक्रम की जानकारी देते हुए रक्तदाता विशाल जैन ने बताया कि जो टेक्नीशियन उस दिन ब्लड बैंक में था, उसने कहा कि मैं पहली बार ही यह काम कर रहा हूं जबकि, ऐसे मामलों में ट्रेंड टेक्नीशियन होने चाहिए.

मामला करीब 2 घंटे तक उलझा रहा, जिसके बाद पुलिस ने अधीक्षक रचना देसाई को फोन किया, जिसके बाद वो अस्पताल पहुंची और दोनों पक्षों में बैठकर बातचीत करवाई गई. अधीक्षक डॉ रंजना देसाई ने मामले की जांच करवाने के आदेश दिए हैं, लेकिन रक्त दाताओं ने इस मामले की एक रिपोर्ट खांडा फलसा पुलिस थाने में भी दर्ज करा दी है.

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