जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच विधायकों को साधने के लिए शिक्षा विभाग को जरिया बनाया गया (Transfer of Teachers in Rajasthan) है. विधायकों की सिफारिश पर हर दिन सैकड़ों तबादले हो रहे हैं. बीते 3 महीने में शिक्षा विभाग में तकरीबन 10 हजार ट्रांसफर हो चुके हैं. इसका नतीजा ये है कि शिक्षक स्कूलों की कक्षाएं छोड़ अपनी सिफारिश लेकर ट्रांसफर कराने या ट्रांसफर से बचने में लगे हुए हैं.
प्रदेश में त्योहारी सीजन के बीच तबादलों का भी सीजन चल रहा है. खास करके शिक्षा महकमे में जहां बीते 4 दिन में 4500 से ज्यादा तबादले हो चुके हैं. सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक कार्यों में लगे प्रिंसिपल से लेकर वाइस प्रिंसिपल, वरिष्ठ अध्यापक, वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक, विषय व्याख्याताओं के नाम तबादला सूची में शामिल रहे. आलम ये है कि शिक्षक अब स्कूलों से ज्यादा शिक्षा मंत्री के निवास शिक्षा संकुल, बीकानेर स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय, यहां तक की शिक्षा विभाग के कार्यक्रमों में भी स्थानीय विधायक की सिफारिश के साथ नजर आते हैं. इनमें कुछ सिफारिश ट्रांसफर की होती है और कुछ ट्रांसफर रुकवाने की.
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विभाग की ओर से तबादलों के दौरान जनप्रतिनिधियों की सिफारिश को प्राथमिकता भी दी जा रही है. जानकारों की मानें तो ऐसा पहली बार हो रहा है कि अक्टूबर तक तबादलों का दौर जारी है. हालांकि ये ट्रांसफर तबादला नीति से नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों से हो रहे हैं. उधर, शिक्षा विभाग के मंत्री डॉ बीडी कल्ला की मानें तो विभाग में तबादला नीति पहले से बनी हुई है. प्रायः कैंसर पीड़ित, विधवा, विकलांग और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के ट्रांसफर नहीं करते हैं. थर्ड ग्रेड के लिए एक पॉलिसी बना करके दी थी. उसके लिए कार्मिक विभाग ने निर्देश दिए हैं कि अन्य राज्य की पॉलिसी को देखकर उस पर कार्य किया जाए, जिस पर समीक्षा चल रही है.