जयपुर. राजस्थान भाजपा में चल रही गुटबाजी और विधायकों की उपेक्षा को लेकर लिखे गए पत्र के मामले में सियासत गर्मा गई है. हालांकि, उपनेता राजेंद्र राठौड़ आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं. वे यह भी कहते हैं कि इस प्रकार का पत्र पार्टी की राजनीतिक संस्कृति से परे है. राठौड़ ने कहा कि इस मसले में कोर कमेटी की बैठक में भी चर्चा करेंगे.
जिनके नाम आए सामने, उनमें से 80 फीसदी लोगों ने सदन में बोला : राठौड़
इस मामले में विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि मुझे खुद समाचार पत्र के जरिए इससे पत्र की जानकारी हुई. मैं खुद आश्चर्यचकित हूं कि इस मामले में जिन विधायकों के नाम सामने आए हैं उनमें से 80 फीसदी लोगों को किसी न किसी रूप में सदन में बोलने का मौका मिला है.
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राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अगर कोई कहे कि स्थगन प्रस्ताव की व्यवस्था के मामले में उन्हें असंतोष है तो यह माननीय अध्यक्ष महोदय का अधिकार है. हम उनसे प्रार्थना जरूर कर सकते हैं, लेकिन अध्यक्ष के अधिकारों पर हम यह कह कर कि हम उस अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं, यह सही नहीं होगा. राजेंद्र राठौद ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष और आसन सर्वोपरि होता है.
मुझे नहीं मिला कोई पत्र, प्रदेश अध्यक्ष ने भी जताई है अनभिज्ञता, करेंगे जांच : राठौड़
उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि उन्हें इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से मिली, लेकिन अब तक उनके पास उनके संज्ञान में ऐसा कोई पत्र नहीं आया है. राठौड़ ने यह भी कहा कि इस मामले में उन्होंने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से भी फोन पर बात कही, लेकिन पूनिया ने भी इस प्रकार का कोई पत्र अब तक नहीं मिलने की बात कही है. राठौड़ ने कहा कि ना तो भाजपा संगठन और ना पार्टी की ऐसी संस्कृति है कि इस प्रकार के कोई पत्र लिखे.