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जयपुर: आरसीईपी के विरोध में उतरा स्वदेशी जागरण मंच, जिलाधिकारी को दिया ज्ञापन

स्वदेशी जागरण मंच ने सोमवार को जिला कलेक्टर जगरुप सिंह यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन दिया. इसमें 16 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के खिलाफ विरोध जताया. आरसीईपी पर हस्ताक्षर करने से आयात­-निर्यात पर शुल्क शून्य किया जाएगा. इससे भारत के लघु उद्योगों और किसानों को नुकसान होगा.

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Published : Oct 21, 2019, 11:20 PM IST

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जयपुर.स्वदेशी जागरण मंच के टीम ने सोमवार को जिला कलेक्टर जगरुप सिंह यादव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन दिया. महानगर संयोजक आयुष कुमार ने बताया कि वर्तमान में विनिर्माण और कृषि दोनों संकट का सामना कर रहे हैं. इसके फलस्वरूप देश में नौकरी का नुकसान हो रहा है. हालांकि विनिर्माण में संकट साल 1991 में एक व्यापक औद्योगिक नीति में कमी के कारण है. जहां, एफटीए भारत में पिछले एक दशक बाद हस्ताक्षर किया है. जो सस्ते आयात और भारतीय विनिर्माण को खोखला करने की अनुमति देने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है.

स्वदेशी जागरण मंच ने आरसीईपी को लेकर दिया कलेक्टर को ज्ञापन दिया

बता दें कि साल 2018-19 में भारत का 15 आरसीईपी वार्ता वाले देशों से 11 के साथ व्यापार घाटा था. पिछले साल भारत में 104 बिलियन अमेरिकी डालर का व्यापार आरसीईपी देशों के साथ था और इनमें से आधे से अधिक चीन के साथ था. इसके अलावा डब्ल्यूआईटीएस (वर्ल्ड इंटीग्रेटेड ट्रेड सॉल्यूशंस वर्ल्ड बैंक) का डाटा व्यापार घाटे में बिगड़ती प्रवृति को भी दर्शाता है.

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आरसीईपी प्रभावी रूप से चीन के साथ एफटीए के रूप में कार्य करेगा. चीन के साथ व्यापार घाटा 54 बिलियन अमेरिकी डालर की खतरनाक स्तर पर है पहुंच चुका है. वहीं, गैर टैरिफ बाधाएं चीन को बाजार पहुंच से वंचित करने का मुख्य कारण है. गैर टैरिफ बाधाएं ( म्यूचल रिकॉगिनिशन एग्रीमेंट्स) को प्रभावी ढंग से अनुशासित करने के लिए आरसीईपी में कुछ नहीं है. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार चीन से माल के लिए 80 फीसदी टैरिफ के उन्मूलन के लिए पहले ही समझौता हो गया था. वहीं 28 फीसदी माल पर डयूटी तुरंत समाप्त हो रही है.

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आयुष कुमार ने कहा कि आरसीईपी पर नवंबर में भारत हस्ताक्षर करने जा रहा है. इससे लघु उद्योगों और किसानों को नुकसान होगा. इस समझौते से आयात-निर्यात पर शुल्क शून्य किया जाएगा. यदि फिर भी प्रधानमंत्री इस समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं, तो स्वदेशी जागरण मंच उसका विरोध करेगा और उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी.

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