जयपुर.राजधानी में रहने वाले अवतार सिंह के परिवार को भी साल 1984 के सिख विरोधी दंगों ने बहुत गहरा घाव दिया है. दंगे के समय अवतार सिंह अपने केश कटवाकर जयपुर से दिल्ली पहुंचे थे और लाशों के ढेर में से अपने बहनोई की लाश को काफी मशक्कत के बाद निकाला था. जब ईटीवी भारत ने दंगे के बारे में उनसे बात की तो उनकी आंखें भर आईं.
साल 1984 के दंगे की बुरी यादों को याद करते हुए अवतार सिंह ने बताया कि उस समय तीस हजारी कोर्ट के पास लाशों के ढेर लगे हुए थे. ट्रकों में लाशों को भरकर लाया जा रहा था. दंगे में हजारों सिखों की मौत हुई थी. बहनोई हरजीत की लाश ढूंढने के लिए उन्हें 4 से 5 घंटे का समय लगा. उनके जैसे सैकड़ों लोग अपने परिजनों की लाश को ढेर में ढूंढ रहे थे.
ट्रेन के डिब्बे में लगा दी थी आग
अवतार सिंह ने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के समय उनके जीजाजी हरजीत सिंह जयपुर आए थे. वे ज्वेलरी का काम करते थे. 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के दंगे की सूचना उन्हें नहीं मिल पाई. उस समय सूचना का कोई माध्यम नहीं था. एक दूरदर्शन था उस पर भी दंगों के बारे में कोई खबर नहीं दिखाई गई, क्योंकि भारत सरकार ने उस पर बैन लगा दिया था.
दूरदर्शन सिख विरोधी दंगों के अलावा सब कुछ बता रहा था. 1 नवंबर 1984 को उनके जीजाजी हरजीत सिंह जयपुर रेलवे स्टेशन से पिंक सिटी एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए रवाना हुए. भिवाड़ी और गुड़गांव के बीच दंगाइयों ने ट्रेन पर हमला कर दिया. उस ट्रेन में 21 सिख सवार थे. हमले के समय सभी सिख एक डिब्बे में आ गए. दंगाइयों ने डिब्बे को आग लगा दी और सभी 21 सिख लोगों की हत्या कर दी.
34 साल से दिल्ली नहीं गई आशा कौर
अपने पति हरजीत सिंह की हत्या के बाद अवतार सिंह की बहन आशा कौर जयपुर आ गईं, आशा के दो बेटियां हैं. वह एक बेटी को लेकर जयपुर आ गईं. लेकिन कुछ दिनों बाद उसके ससुराल वाले उस बेटी को लेकर चले गए. आज उन दोनों बेटियों की भी शादी हो चुकी है. दोनों बेटियां बबली और पूजा अपनी मां से अनजान हैं. हरजीत की मौत के बाद उसके माता-पिता भी आशा कौर से नाराज हो गए.