जयपुर. 32 दिन बाद आखिर सचिन पायलट कि कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी प्रियंका गांधी के साथ हुई बातचीत ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर आए सियासी संकट के बादल टाल दिए हैं. इसके बाद आज सचिन पायलट समेत दिल्ली में मौजूद सभी 18 विधायक जयपुर पहुंच जाएंगे.
कहा जा रहा है कि सचिन पायलट गुट के सभी विधायक शाम तक जयपुर पहुंचेंगे. हालांकि जानकारों का कहना है की एकबारगी तो सियासी संकट भले ही टल गया हो, भले ही कांग्रेस आलाकमान के बीच बचाव से एक बार सरकार बचाने पर दोनों गुटों में सुलह हो गई हो लेकिन अभी इसका पूरा समाधान नहीं हो सका है. जिस तरीके से जैसलमेर में मौजूद कुछ विधायकों की ओर से पायलट कैंप की विधायकों को ऑफिस पार्टी में शामिल करने पर आक्रोश है उसे लगता है कि कांग्रेस आलाकमान को कोई ना कोई बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा.
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...तो सचिन पायलट को भी भेजना होगा दिल्ली
पायलट कैंप से सीधी शिकायत अगर किसी को है तो वह हैं राजस्थान के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे. ऐसे में अब यह बिल्कुल साफ है कि राजस्थान में अब प्रभारी अविनाश पांडे की जगह जल्द ही किसी दूसरे प्रभारी की नियुक्ति हो सकती है. लेकिन इसके साथ ही एक बात यह भी साफ है कि अगर सचिन पायलट को राजस्थान में रखा गया तो फिर गहलोत से उनके टकराव होते रहेंगे. ऐसे में अब पार्टी को बीच का रास्ता निकालते हुए सचिन पायलट के विधायकों को सम्मानजनक पद देने और सचिन पायलट को एआईसीसी के महासचिव बनाए जाने की खबरें निकल कर आ रही है.
पायलट गुट के बाकी लोगों का क्या
सोमवार को कांग्रेस आलाकमान के साथ हुई बाचतीत में यह कहा जा रहा है कि पायलट कैंप ने किसी तरीके की शर्तें नहीं रखी हैं. लेकिन जिस तरीके से रात को पायलट ने अपने मान-सम्मान की बात कही वह सब बताता है कि समझौता किसी ना किसी बात को लेकर हुआ है. संगठन में भी अब सचिन पायलट के साथ काम कर चुके लोगों को मौके मिल सकते हैं. राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट आज तक के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष बने रहने वाले नेता रहे हैं.
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ऐसे में यह भी साफ है कि उनके साथ बड़ी तादाद मे विधायकों के साथ ही संगठन के लोगों का भी जुड़ाव रहा है. अब सचिन पायलट कैंप के विधायकों के अलावा उन नेताओं को भी कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में स्थान दिया जा सकता है. कहा ये भी जा रहा है कि राजस्थान में कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जा सकते हैं. हालांकि यह बात बिल्कुल साफ है कि सचिन पायलट अब राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं बनेंगे. लेकिन इस बात की चर्चा जरूर है कि उन्हे उपमुख्यमंत्री पद वापस देने के साथ-साथ कांग्रेस का कोई बड़ा पद मिल सकता है. बड़े पद के लिए उनके पास अब केवल एआईसीसी की टीम में शामिल करना ही बचता है.