जयपुर:शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) की सप्तमी तिथि आज मंगलवार को मनाई जा रही है. नवरात्रि के सातवें दिन माता भगवती के कालरात्रि स्वरूप (Kalratri) की पूजा की जाती है. जिन जातकों के मन में किसी भी प्रकार का कोई भय हो तो देवी कालरात्रि की पूजा से उन्हें निर्भयता का आशीर्वाद मिलता है. चमेली या रातरानी के पुष्प चढ़ाकर देवी कालरात्रि को प्रसन्न किया जा सकता है.
इस तरह देवी को करें प्रसन्न ये भी पढ़ें-Horoscope Today 12 October 2021 राशिफल : मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, धनु, मीन राशि वालों को धन लाभ का योग
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर (Sriram Gurjar) बताते हैं कि जिन जातकों के शनि ग्रह की साढ़े साती चल रही है या शनि की ढैया चल रही है. अथवा जिन जातकों की कुंडली में शनि मारकेश है और उनकी महादशा या अंतर्दशा चल रही है. जिन जातकों की कुंडली में शनि से संबंधित कोई भी दिक्कत है. ऐसे जातकों को विशेष रूप से देवी कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए.
जिन जातकों को लगता है कि उनके ऊपर कोई तांत्रिक प्रयोग हो रखा है. घर में प्रेत बाधा की आशंका हो अथवा भूत-प्रेत, दैत्य-दानव संबंधी कोई समस्या है. ऐसे जातकों को भी देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) की पूजा अवश्य करनी चाहिए. जिन जातकों को जल भय, अग्नि भय या जंतु भय रहता है. या फिर शत्रु, चोर भय रहता है. देवी कालरात्रि की पूजा से ऐसे जातकों को भी निर्भयता का आशीर्वाद मिलता है.
देवी कालरात्रि (Devi Kalratri) को गुड़ नैवैद्य या कृष्ण तुलसीदल का भोग लगाकर प्रसन्न किया जा सकता है. कालीमिर्च या काले चने का भोग लगाने से भी देवी कालरात्रि प्रसन्न होती है. साबुत नींबू या कटे हुए नींबू का भोग भी लगाया जाता है अथवा 27 या 54 नींबू की माला अर्पित करने से भी देवी कालरात्रि प्रसन्न होती है. रातरानी और चमेली के पुष्प देवी कालरात्रि को खास प्रिय है.
संतान की कामना वाले दंपती करें यह उपाय, जल्द पूरी होगी मनोकामना
जिन जातकों की शादी हो चुकी है और संतान सुख हासिल नहीं हो रहा है. डॉक्टर की जांच में भी कोई समस्या पकड़ में नहीं आ रही है. ऐसे जातक (पति-पत्नी) साथ बैठकर हाथ में नारियल लेकर माता भगवती को अर्पित करें (Upay On Saptami) और उसी नारियल को पीली चुनरी में लपेटकर अपने शयन कक्ष में सिरहाने वाले स्थान पर रख दें. इससे देवी भगवती के आशीर्वाद से जल्द से जल्द संतान प्राप्ति होगी. संतान प्राप्ति होने पर इस नारियल को जल में प्रवाहित कर देना चाहिए.