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बन गई बात... सरपंचों का जयपुर कूच स्थगित, मंत्री रमेश मीणा ने दिया लिखित आश्वासन

22 मार्च को सरपंच संघ की ओर से किया जा रहा विधानसभा घेराव (Sarpanch union Jaipur march postponed) स्थगित हो गया है. ग्रामीण और पंचायती राज विभाग मंत्री रमेश मीणा के साथ कल हुए वार्ता में सरपंच संघ के सभी 13 सूत्री मांगों पर सहमति बन गई है. सरकार से लिखित में मिले आश्वासन के बाद संघ ने जयपुर कूंच स्थगित कर दिया है.

Rajasthan Sarpanch Sangh
सरपंचों का जयपुर कूंच स्थगित

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Published : Mar 22, 2022, 9:33 AM IST

Updated : Mar 22, 2022, 10:26 AM IST

जयपुर.सरपंच संघ की ओर से 22 मार्च को किया जाने वाला विधानसभा घेराव स्थगित हो गया है. ग्रामीण और पंचायती राज विभाग मंत्री रमेश मीणा ने सरपंचों की सभी 13 सूत्रीय मांगों पर सहमति जताई (Sarpanch union Jaipur march postponed) है. सरकार से लिखित में मिले आश्वासन के बाद संघ ने जयपुर कूंच स्थगित कर दिया.

सभी मांगों पर बनी सहमति:दरअसल सरपंच संघ ने 22 मार्च को विधानसभा का घेराव करने की चेतावनी दी थी. जिसके बाद शनिवार को सरकार ने सरपंच संघ के प्रतिनिधि मंडल को वार्ता का न्यौता दिया. पंचायतीराज सचिव पीसी किशन के साथ करीब 5 घंटे से ज्यादा लंबी चली बातचीत के बाद भी कोई सकारात्मक नतीजा नही निकला था. इसके बाद फिर सोमवार को सरपंच संघ के प्रतिनिधि मंडल और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा के साथ लंबे दौर की वार्ता हुई जिसमें लगभग सभी मांगों पर लिखित में सहमति दे दी गई है.

सरपंचों का जयपुर कूंच स्थगित:सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि संघ अपनी 13 सूत्रीय मांगों को लेमर 22 मार्च को विधानसभा का घेराव करने जा रहा था. लेकिन सोमवार को मंत्री के साथ हुई वार्ता में लगभग सभी मांगों पर सहमति बन गई है. जिसके कारण 22 मार्च यानी की आज होने वाला विधनसभा घेराव स्थगित कर दिया गया है.

मंत्री रमेश मीणा ने दिया लिखित आश्वासन

चरणबद्ध आंदोलन की रूप रेखा से सरकार पर बना दबाव:अध्यक्ष बंशीधर ने बताया कि 13 सूत्रीय मांग पत्र पहले ग्रामीण और पंचायती राज मंत्री रमेश मीणा को सौंपा गया था और आंदोलन की चेतावनी दी गई थी. लेकिन सरकार की ओर से कोई वार्ता के लिए सकारात्मक पहल नही की गई. इसके बाद सरपंच संघ ने आंदोलन चरणबद्ध तरीके से करने का कार्यक्रम तय किया.

सबसे पहले 13 मार्च तक सभी सरपंच अपने अपने क्षेत्र के विधायक को मांग पत्र देकर सरपंचों की आवाज को विधानसभा में उठाने की मांग रखी. जिसमें 15 से ज्यादा विधायकों ने सदन के अंदर सरपंचों की मांग उठाई. इसके बाद 14 मार्च को पंचायतों की तालाबंदी कर अनिश्चितकालीन तक कार्य का बहिष्कार कर दिया गया था. इसके साथ ही 22 मार्च को विधानसभा का घेराव तय किया गया. बंशीधर गढ़वाल ने बताया कि सरपंच संघ ने चरणबद्ध आंदोलन किया जिससे सरकार पर दबाव बन सका.

पढ़ें-आंदोलन की राह पर गांव की सरकार: 5 घंटे की वार्ता में नहीं बनी बात...11 हजार सरपंच 22 मार्च को करेंगे विधानसभा का घेराव

इन 13 सूत्री मांगों पर बनी सहमति:

ग्रामीण क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए पहले राज्य वित्त आयोग से पांचवें राज्य वित्त आयोग तक सकल राजस्व का देय अनुदान प्रतिशत हमेशा बढ़ाने की स्वीकृत जारी होती रही है. लेकिन 30 वर्षों में पहली बार छठे राज्य वित्त आयोग में पांचवे राज्य वित्त आयोग के सकल राजस्व के 7.18 प्रतिशत अनुदान की तुलना में 6.75 प्रतिशत अनुदान देने की सिफारिश की गई है. जिससे पंचायती राज संस्थाओं को लगभग 200 करोड़ रुपए का वार्षिक नुकसान हो रहा है. यह पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय हितों पर कुठाराघात है. इसकी पुनर्समीक्षा करते हुए अनुदान प्रतिशत को बढ़ाकर सकल राजस्व का 10 फीसदी किया जाए.

ग्राम पंचायतों के विकास की राज्य वित्त आयोग और 15वें वित्त आयोग की वर्ष 2021-22 की शेष राशि ग्राम पंचायतों को हस्तातरित की जाए. साथ ही महानरेगा योजना स्वच्छ भारत मिशन योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रशासनिक मद में से ग्राम पंचायतों के हिस्से की राशि संबंधित ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित की जाए.

सरपंच पद की गरिमा को ठेस पहुंचाते हुए विभिन्न प्रशासनिक अधिकारों में कटौती कर अन्य कर्मचारी / अधिकारियों को दिए जा रहे कार्यों / अधिकारों पर पूर्णतया अंकुश लगाया जाए.

ग्राम पंचायतों के विकास की राशि में से मानदेय कर्मियों (पंचायत सहायक कोविड स्वास्थ्य सहायक, सुरक्षा गार्ड और पप चालक) के मानदेय के राज्य वित्त आयोग से भुगतान के प्रावधानों को निरस्त कर इनके मानदेय का भुगतान संबंधित विभाग की ओर से करने का प्रावधान किया जाए. साथ ग्रामीण क्षेत्र के विकास की राज्य वित्त की राशि में से कटौती नहीं की जाए.

जल जीवन मिशन योजना का संचालन और संधारण बिना संसाधन के साथ बजटीय प्रावधानों के ग्राम पंचायतों पर थोपा जा रहा है, इसके लिए जलदाय विभाग को अधिकृत किया जाए.

सरपंचों का मानदेय बढ़ाकर 15000 रुपए किया जाए. साथ ही सरपंच पद का कार्यकाल पूर्ण हो जाने (पद मुक्त हो जाने पर ) अंतिम मानदेय की 50 फीसदी राशि पेंशन के रूप में भुगतान करने का प्रावधान किया जाए. इतना ही नही ग्राम पंचायतों के वार्ड पंचों का बैठक भत्ता बढ़ाकर 2500 रुपए प्रति बैठक तक पंचायत समिति जिला परिषद सदस्यों को बैठक भत्ता बढ़ाकर 1000 रुपए किया जाए.

पढ़ें-मांगें पूरी न होने पर सरपंच आक्रोशित, 14 मार्च को करेंगे पंचायतों की तालाबंदी और अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार...दी ये चेतावनी

सीमित निविदा से कार्य संपादित करवाने के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की ओर से 29 नवंबर को आदेश जारी हुआ उसे पुनः संशोधित किया जाए.

ग्रामीण जनता की आवागमन की सुविधा के लिए प्रचलित रास्तों और पेयजल सुविधा के लिए टंकी, बोरिंग, टांका, हैंडपंप एवं पाइप लाइन का विकास कार्य भूमि स्वामी की सहमति के आधार पर करवाने की अनुमति प्रदान की जाए.

प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना में विभागीय त्रुटि से काटे गए 9.73 लाख नामों को पुनः जोड़ा जाए.

ग्रामीण क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका और आशा आदि के चयन की प्रक्रिया पूर्व की भांति ग्रामसभा के माध्यम से ही संपादित करने के आदेश जारी किए जाएं.

ग्रामीण जनता को लाभान्वित करने के लिए ग्राम पंचायत की निजी खातेदारी में विकसित आवासीय कॉलोनियों का विभिन्न विकास प्राधिकरण (नियम 90 (क) की भाति नियमितीकरण करते हुए ग्राम पंचायत से विक्रय विलेख जारी करने का पंचायती राज नियमों में प्रावधान किया जाए. साथ ही ग्राम पंचायत की ओर से जारी भूमि विक्रय विलेख में त्रुटि होने पर सीधे ही पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज करने के स्थान पर अपीलीय प्रावधान किया जाए.

ग्राम पंचायतों की ओर से किए जाने वाले विभिन्न विकास कार्यों के बाद लगभग 5 से 6 अकेक्षण दलों की ओर से अनावश्यक जांच के नाम जनप्रतिनिधियों और कार्मिकों को प्रताड़ित किया जाता है. इनके स्थान पर अधिकतम दो अंकेक्षण दल से ही अंकेक्षण करवाए जाने का स्पष्ट प्रावधान किया जाए.

ग्राम पंचायत स्तर पर लगभग समस्त कार्य ऑनलाइन प्रक्रिया से सपादित किए जा रहे हैं. जिसके लिए ग्राम पंचायतों में संसाधन उपलब्ध करवाया जाए और सरपंचों को प्रशिक्षण दिलवाया जाए.

Last Updated : Mar 22, 2022, 10:26 AM IST

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