जयपुर. हाल ही में अमेरिका में लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले (Salman Rushdie attacked) के बाद दुनिया भर में कट्टरपंथियों के विचारधारा को लेकर चर्चा का दौर तेज हो गया है. इस बीच सलमान रूश्दी से जुड़े जयपुर की यात्रा का एक प्रसंग भी फिर से ताजा हो गया. दरअसल, साल 2012 में जब जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन (Jaipur Literature Festival in 2012) किया जा रहा था, तब आयोजकों ने सलमान रुश्दी को भी एक सेशन के लिए आमंत्रित (Salman Rushdie in JLF) किया था.
जाहिर है कि साल 1988 में सलमान रुश्दी की किताब 'द सेटेनिक वर्सेज' (The Satanic Verses) को यूनाइटेड किंगडम में प्रकाशित होने के बाद भारत में प्रतिबंधित किया गया था. इसके बाद से ही लेखक सलमान रुश्दी इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे थे. उनके उपन्यास को ईशनिंदा वाला पाया गया था.
जयपुर में रद्द हुआ था रुश्दी का कार्यक्रम- 1989 में ईरानी नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने रुश्दी के खिलाफ एक फतवा जारी किया था. जिसमें मुसलमानों से रुश्दी को मारने के लिए कहा गया था. कई देशों में किताब की प्रतियां जला दी गईं और किताबों की दुकानों पर बमबारी की गई. वास्तव में, पुस्तक के जापानी अनुवादक की हत्या कर दी गई थी. इतालवी अनुवादक गंभीर रूप से घायल हो गया था और तुर्की अनुवादक को पकड़ने और मारने का प्रयास किया गया था. इस विवाद के 27 साल बाद किताब और रुश्दी का मसला हिन्दुस्तान में फिर जोर पकड़ गया.
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यह तय हुआ था कि रुश्दी जेएलएफ के 2012 संस्करण का दौरा (Jaipur Literature Festival in 2012) करने वाले थे. रुश्दी जिन्होंने 2007 जेएलएफ में बात की थी और 2012 के महोत्सव में भाग लेने के लिए पूरी तरह तैयार थे. लेकिन शीर्ष मुस्लिम संगठनों के विरोध और खुफिया सूचनाओं का हवाला देते हुए आयोजकों को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने प्रोग्राम कैंसिल करने का आग्रह किया. यह भी इनपुट इस दौरान रहा कि मुंबई से कॉन्ट्रैक्ट किलर को सुपारी देकर जयपुर भेजा गया है. उस वक्त यह फैसला लिया गया था कि रुश्दी जेएलएफ में समापन पर वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जुड़ेंगे, लेकिन विरोध के स्वर इतने मुखर थे कि आयोजकों को बैकफुट पर आकर वीडियो कॉन्फ्रेंस को भी कैंसिल करना पड़ा.
बैकफुट पर थी तत्कालीन गहलोत सरकार-साल 2012 में राजस्थान की मौजूदा अशोक गहलोत सरकार के लिए 2013 के चुनाव का लक्ष्य सामने था. जाहिर है कि भरतपुर के गोपालगढ़ में हुए गोलीकांड के बाद मुस्लिम वोट बैंक के खतरे को लेकर पहले से अशोक गहलोत सरकार बैकफुट पर थी. इस दौरान मुस्लिम संगठनों की राजधानी में सलमान रुश्दी की यात्रा को लेकर विरोध की मांग वाले रुख पर भी कांग्रेस नेता खासा परेशान थे. तब तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर चंद्रभान, कांग्रेस नेता डॉक्टर महेश जोशी ने भी राज्य सरकार से सलमान की यात्रा रद्द करने की मांग की थी.
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केंद्र सरकार और तत्कालीन मुख्य सचिव सलाउद्दीन अहमद के बीच भी इस मसले पर कई बार बातचीत हुई. उसके बाद खुफिया इनपुट की बात ने आयोजकों के लिए परेशानियों में इजाफा कर दिया. केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक मामलात के मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस कार्यक्रम के सिलसिले में बात करते हुए आगाह किया था. इन सब मुद्दों के बीच आयोजकों को आखिरी मौके पर इस बात का ऐलान करना पड़ा कि सलमान रुश्दी से जुड़े JLF के कार्यक्रम (Salman Rushdie in JLF) को लेकर वे साफ नहीं है कि रुश्दी भारत आएंगे. लेकिन जेएलएफ के आयोजक अपने न्यौते पर कायम है.
गौरतलब है कि मुस्लिम शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने तब भारत सरकार से यूपीए सरकार से यह मांग की थी कि जब तक सलमान रुश्दी अपनी किताब 'द सेटेनिक वर्सेज' में लिखी ईश निन्दा संबंधी बातों के लिए माफी नहीं मांग लेते, उन्हें भारत आने की इजाजत नहीं दी जाए.