जयपुर. मुख्यमंत्री सलाहकार नियुक्ति विवाद (CM advisor appointment controversy) के मामले में सीएम अशोक गहलोत (Cm ashok gehlot) के बयान के बाद विवाद का पटाक्षेप हो गया लेकिन प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री के बयान पर एक बार फिर कटाक्ष (Rjendra Rathod comment on cm statement) कर दिया. राठौड़ कहते हैं की मुख्यमंत्री का बयान साबित करता है कि केवल असंतुष्ट विधायकों को खुश करने और अंतरकलह से जूझ थी सरकार को बचाने के लिए ही सलाहकारों की नियुक्ति की गई थी.
राजेंद्र राठौड़ ने रविवार रात ट्वीट (Rajendra Rathod tweet) कर मुख्यमंत्री के बयान पर कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Cm ashok gehlot) की ओर से स्वीकारोक्ति करने के पश्चात यह सिद्ध हो गया है कि उनकी ओर से नियुक्त सलाहकार के पास कोई सरकारी पत्रावली नहीं भेजी जा सकती है और न ही उनकी सलाह पर कोई पत्रावली चलाई जा सकती है. यह महज विधायकों को खुश करने के लिए झुनझुना देना है. मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्त सलाहकार केवल नाम मात्र के होंगे. सलाहकारों के पास लेटर पैड पर अपना नाम/पद अंकित करने के अलावा कोई अतिरिक्त शक्तियां नहीं होंगी. सामान्य विधायक के अतिरेक इन सलाहकारों के पास कोई संवैधानिक अधिकार भी नहीं होंगे.
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राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री सलाहकारों की असंवैधानिक नियुक्ति व संसदीय सचिवों की संभावित नियुक्ति को लेकर मैंने 22 नंवबर को संविधान के अनुच्छेद 164 (1A), अनुच्छेद 191 (1) (a), अनुच्छेद 246 के प्रावधानों तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय व विभिन्न माननीय उच्च न्यायालयों के निर्णयों का हवाला देते हुए महामहिम राज्यपाल महोदय को पत्र लिखा था. तत्पश्चात महामहिम राज्यपाल महोदय के राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगने के बाद से अब सरकार संसदीय सचिवों की नियुक्ति करने का साहस नहीं जुटा पा रही है.
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सलाहकार के पदों पर नियुक्ति के असंवैधानिक फैसले के बाद मुख्यमंत्री जी को यू-टर्न लेना पड़ रहा है और वह सलाहकारों को राज्यमंत्री/कैबिनेट मंत्री के स्तर की सुविधाओं के लिए लिखित आदेश भी जारी नहीं कर पा रहे हैं. राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री की ऐसी क्या मजबूरी रही कि उन्हें मंत्रिमंडल पुनर्गठन के साथ ही 6 सलाहकारों की जरूरत पड़ गई और उन्हें सलाहकार के पद का झुनझुना पकड़ा दिया. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि क्या कांग्रेस विधायकों की पार्टी में सम्मानजनक स्थिति नहीं थी या फिर विधायक का पद कम महत्वपूर्ण है, जो उन्हें सलाहकार जैसे पदों की रेवड़ियां बांटनी पड़ रही है.
राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री यह कह रहे हैं कि सलाहकारों की नियुक्तियों के मामले को लेकर विपक्ष बेवजह तूल दे रहा है और सरकार को तमाम कानूनों की पूरी जानकारी है. लेकिन हकीकत तो यह है कि अगर सरकार को संवैधानिक प्रावधानों की पूरी जानकारी होती तो आज मुख्यमंत्री को लोकतंत्र का उपहास कराने एवं आपसी कलह को शांत करने के लिए विधायकों को सलाहकार के पद पर नियुक्ति देने की जरूरत ही नहीं होती.