जयपुर. कोरोना काल के बाद केंद्र सरकार का ये पहला बजट है. ऐसे में जो इकोनॉमी कोरोना की वजह से प्रभावित हुई है, उस इकोनॉमी को उठाने के लिए ये बजट एक्सपेंडिचर ओरिएंटेड बजट होना चाहिए. राजधानी के प्रमुख बिल्डर्स की माने तो सरकार को ज्यादा से ज्यादा एक्सपेंडिचर पर खर्च करना चाहिए, जिससे लोगों के पास मनी सरकुलेशन हो ताकि बाजार में पैसा आए. इससे खरीदने की क्षमता बढ़ेगी और इंडस्ट्रीज के लिए नई आशा की किरण जागृत होगी. बिल्डर्स का मानना है कि केंद्र सरकार टैक्स में जितनी छूट दे सकती है, वो देनी चाहिए. रियल एस्टेट में भी सरकार टैक्स में छूट दें और लोगों को प्रमोट करें कि लोग अपना मकान खरीदें.
बिल्डर एनके गुप्ता ने बताया कि पीएम मोदी का ये सपना रहा है कि 2022 तक सबको आवास उपलब्ध हो. सरकार इस क्षेत्र में काम भी कर रही है. एलआईजी और ईडब्ल्यूएस के काफी आवास बनाए जा रहे हैं, जिससे मिडिल क्लास और लोअर मिडल क्लास को अपना आवास उपलब्ध हो सके, लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट के लिए सरकार को इनकम टैक्स में छूट, जीएसटी की और छूट देनी चाहिए, जिससे कि गरीब तबके का आदमी भी अपना घर खरीद कर उसमें निवास कर सके. ये देश की इकोनॉमी और समृद्धि को दर्शाएगा.
वहीं रियल एस्टेट से जुड़े सुरेंद्र खंडेलवाल ने बताया कि वर्तमान में रियल एस्टेट खत्म हो चुका है. सरकार इस पर ध्यान नहीं देगी तो आम आदमी बर्बाद हो जाएगा. अभी सीमेंट, स्टील, पीवीसी और बिल्डिंग बनाने में शामिल दूसरे सामान के दाम आसमान छू रहे हैं. बिल्डर्स के लिए आवास बनाना मुश्किल हो गया. उससे मुश्किल आवास बेचना हो गया है. उन्होंने बताया कि फ्लैट की जो लागत है, उतने में भी खरीदार नहीं मिल पा रहा. यही नहीं रजिस्ट्री अमाउंट भी 10 प्रतिशत तक जा रहा है. ऐसे में सरकार को प्राइस कंट्रोल पर विशेष रुप से ध्यान देना होगा. कारण साफ है मार्केट में कैश फ्लो नहीं है, रियल स्टेट से ही मार्केट में ग्रोथ आती है.