जयपुर.इस समय देश में किसान आंदोलन चल रहा है और हर सरकार अपने आप को किसान हितेषी बताने का प्रयास कर रही है. राजस्थान में भी जो किसान ऋण लेते हैं उनके लिए प्रदेश में राज्य सरकार ने नियम बना रखा है कि ग्राम सेवा सहकारी समिति के सदस्य को ऋण वितरण के समय राज्य सरकार व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना से जोड़ेगी, लेकिन अगर आपको पता लगे कि किसान की तो बीमा राशि ऋण लेने के साथ ही काटी जा चुकी है, लेकिन बीमा कौन सी कंपनी तय करेगी.
विधायक पब्बाराम ने दिया जवाब इसमें विभाग के अधिकारियों ने 7 महीने का समय लगा दिया. ऐसे में इन 7 महीनों के दरमियान जिन किसानों की मृत्यु हुई होगी उनको बीमा की राशि नहीं मिलेगी. मतलब साफ है कि किसानों को प्रीमियम देने के बावजूद भी कोई राशि नहीं मिलेगी.
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विधानसभा में लगे जोधपुर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के किसानों के बीमा के सवाल उठाते हुए विधायक पब्बाराम ने कहा कि कंपनी का एमओयू 24 नवंबर 2021 को हुआ और पिछली कंपनी का एमओयू समाप्त होने में करीब 7 महीने का फर्क है. जबकि किसानों का प्रीमियम 1 अप्रैल को ही काटा गया है. ऐसे में 1 अप्रैल से 24 नवंबर के बीच में जिन किसानों को बीमा मिला है उसे कौन बीमा देगा. इस पर मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि इस बार 1 साल का बीमा नहीं हो सका. ऐसे में बीमा होने के बाद ही राशि दी जा सकती है. जो इस बीच के समय की किसानों को बीमा कंपनी नहीं देगी.
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इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि एक कंपनी का टाइम खत्म हो गया और दूसरी बीमा कंपनी का शुरू हुआ. उसके बीच में जिन किसानों ने बीमा कराया अगर उस में से किसी की मृत्यु हो जाएगी तो उसको बीमा कौन देगा. ऐसे में मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि जब बीमा हुआ ही नहीं तो फिर बीमा कंपनी उसका पैसा नहीं दे पाएगी इसमें गैप रहा है और जो त्रुटि आ रही है उसको लेकर जांच चल रही है और जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी.
सदन में उठा कोऑपरेटिव बैंक के किसानों के बीमा का सवाल इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जोधपुर के 82,664 किसानों ने बीमा का पैसा कट गया, लेकिन इन किसानों में से जिनकी मृत्यु हो गई और वह बीमा के हकदार हैं तो उनको बीमा कौन देगा अगर कंपनी नहीं करेगी तो क्या सरकार करेगी. इसमें मंत्री उदयलाल आंजना ने कहा कि जब बीमा ही नहीं हुआ तो किस आधार पर उसे बीमा मिलेगा.
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उस पर कटारिया ने कहा कि इसमें किसान का क्या दोष है कि जब उसने कर्ज लिया तो उसने की बीमा राशि काट दी गई, लेकिन समय पर बीमा नहीं हो सका तो अगर दोनों कंपनियां जिम्मेदार नहीं है तो फिर सरकार जिम्मेदार होगी. ऐसे में चाहे बीमा कंपनी पैसा दे या सरकार पैसा दे, लेकिन किसान को पैसा देना चाहिए.
इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने भी कहा कि बीमा की राशि किसान कटवा चुका है. अब इंश्योरेंस कंपनी का क्या हुआ यह अलग विषय है, लेकिन जो पैसा किसान कटवा चुका है और इंश्योरेंस करवाने में गैप है उसमें पैसा कौन देगा इसको लेकर सरकार क्या सोचती है.
इसे लेकर उदयलाल आंजना ने कहा कि पिछली बीमा कंपनी डिफाल्टर थी और उसके बाद जब दूसरी बीमा कंपनी चयनित की गई तो नियम बनाने में काफी लंबा समय अधिकारियों ने लगाया. उसकी जांच कमेटी बना दी गई है. जांच आने के बाद अधिकारियों पर कार्रवाई होगी लेकिन किसानों का नुकसान ना हो इसे लेकर सरकार क्या कुछ करना चाहती है इस पर आगे सवाल पर जवाब दे दिया जाएगा. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने सदन में इस मामले में अलग से चर्चा करवाने का प्रावधान कर दिया.