जयपुर. प्रदेश में इन दिनों पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर जबरदस्त विवाद छिड़ा हुआ है. इसमें एक विवाद चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी के जौहर से भी जुड़ा है. दरअसल शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बयान दिया था कि सती प्रथा और जौहर एक समान है. जो बच्चों को नहीं पढ़ाया जा सकता है. अब तक इस बयान पर केवल भाजपा की ओर से ही डोटासरा को विरोध झेलना पड़ रहा था. लेकिन अब कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही जौहर का चित्र हटाने के बयान का विरोध शुरू हो गया है.
इतिहास को सरकार के हिसाब से नहीं बदला जा सकता : प्रताप सिंह खाचरियावास
शिक्षामंत्री डोटासरा के जौहर का चित्र हटाने के बयान पर कांग्रेस के ही मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि जौहर और सती प्रथा अलग-अलग है. इतिहास को सरकार के हिसाब से बदला नहीं जा सकता है. और ना तो अभी जौहर का चित्र हटा है, और ना ही सरकारी स्तर पर कोई निर्णय हुआ है.
दरअसल, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि देश में जौहर नारी शक्ति के बलिदान का परिचायक है. इसलिए देश में जौहर की पूजा होती रही है, मैं खुद भी जौहर की पूजा करता हूं. चित्तौड़ में रानी पद्मिनी के साथ 16 हजार महिलाओं का जौहर नारी के बलिदान को प्रदर्शित करता है. इतिहास को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. इतिहास बदला नहीं जा सकता है. खाचरियावास ने कहा कि जौहर को लेकर मंत्री डोटासरा का बयान व्यक्तिगत बयान हो सकता है.
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि हर किसी को समझना चाहिए कि सती प्रथा अलग है. और जौहर अलग है. इतिहास को सरकार के हिसाब से नहीं बदला जा सकता है. मैं कहना चाहता हूं कि हमारा इतिहास पार्टी में नहीं बांटा जा सकता है. जौहर हो चुका है और देश में इसकी पूजा होती है और होती रहेगी. इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. वहीं किताब से जौहर का चित्र हटाने के सवाल पर खाचरियावास ने कहा कि अभी तक ना तो किताब से जौहर का चित्र हटा है, और ना ही कोई ऐसा निर्णय सरकारी स्तर पर हुआ है.