जयपुर. देशभर में साल 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 1 लाख 49 हजार लोग मारे गए. सरकारी आंकड़ा बताता है कि इनमें एक बड़ी संख्या बिना हेलमेट पहने वाहन चालकों की है या फिर उन वाहन चालकों की है, जिन्होंने हेलमेट तो पहना था लेकिन वह गुणवत्तापूर्ण नहीं था. जिसके चलते दुर्घटना में उनकी जान भी गई. यही कारण है कि हाल ही में लागू हुए नए मोटर व्हीकल एक्ट में इस बार कुछ सख्त प्रावधान किए गए हैं. वहीं राजस्थान में यातायात पुलिस भी नए प्रावधानों को लेकर ना केवल सख्त है, बल्कि आमजन को जागरूक करने का काम भी कर रही है.
बढ़ती आबादी और बढ़ते ट्रैफिक के बीच सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में भी लगातार इजाफा हो रहा है. हालांकि इस बीच सरकार की ओर से चलाए जा रहा है सड़क सुरक्षा अभियान का कुछ असर इन आंकड़ों पर अब दिखने लगा है. साल 2018 की तुलना में साल 2019 के आंकड़े कम रहे. लेकिन ये कमी उत्साहजनक नहीं मानी जा सकती है.
अकेले राजधानी जयपुर की बात की जाए तो साल 2019 में सड़क दुर्घटनाओं में 358 लोगों की मौत हुई है, इनमें दुपहिया वाहन चालक भी शामिल है और वो लोग भी शामिल है जिन्होंने वाहन चलाते समय अपने सिर पर एक अच्छा और मजबूत हेलमेट नहीं लगा रखा था. दरअसल बाजार में कई प्रकार के हेलमेट बिख रहे हैं लेकिन नियम अनुसार हेलमेट के लिए भी कुछ मापदंड तय किए गए हैं जो इस प्रकार है.
- वर्तमान में केवल आईएसआई प्रमाणित हेलमेट की बेचे जा सकेंगे.
- ये हेलमेट ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स के मानव को पर खड़े होना चाहिए.
- नए मानकों के अनुसार नए हेलमेट का अधिकतम वजन 1 किलो 200 ग्राम होना चाहिए लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर डेढ़ किलो तक कर दी है.
- बिना आईएसआई मानक हेलमेट बनाने बेचने और भंडारण करने वालों पर कानूनी कार्रवाई के भी है प्रावधान.
- यदि हेलमेट बनाने वाली कंपनियां तय मानकों का पालन नहीं करती है तो उनको 2 साल की जेल या 2 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
सरकार ने नियम बना रखे हैं और सख्त कानून भी है. बावजूद इसके क्या लोग एक अच्छा और गुणवत्ता युक्त हेलमेट खरीदते हैं. शायद नहीं कम पैसों का और केवल चालान से बचने के लिए ही अधिकतर लोग हेलमेट खरीदते हैं. हेलमेट डिस्ट्रीब्यूटर तो यही कहते हैं कि जागरूकता की कमी के चलते और कुछ रुपए बचाने के चक्कर में लोग अपनी जान के साथ भी खिलवाड़ कर देते हैं और सत्ता और घटिया किस्म का हेलमेट खरीदने से भी परहेज नहीं करते.
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