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LOCKDOWN में शराब की दुकानें खोलने को हाईकोर्ट में चुनौती - Female health worker recruitment

लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकानें खोलने और शराब की बिक्री के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि इस तरह का आदेश विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोरोना वायरस के संबंध में जारी गाइडलाइन के खिलाफ है.

राजस्थान हाईकोर्ट, rajasthan high court
राजस्थान हाईकोर्ट

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Published : May 6, 2020, 8:13 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में शराब की दुकानें खोलने और शराब की बिक्री करने की अनुमति देने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. जिस पर सप्ताह के अंत तक सुनवाई हो सकती है.

निखिलेश कटारा की ओर से दायर याचिका में मुख्य सचिव, अतिरिक्त गृह सचिव और आबकारी आयुक्त सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने गत 2 मई को आदेश जारी कर प्रदेश में शराब की दुकानें खोलकर शराब बिक्री की अनुमति दे दी है. जबकि इस तरह का आदेश विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कोरोना वायरस के संबंध में जारी गाइडलाइन के खिलाफ है.

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गाइड लाइन में संक्रमण रोकने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने की बात कही गई है. इसके बावजूद दुकानें खुलने के बाद बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई. इसके चलते संक्रमण बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया है. इसलिए शराब की दुकान खोलने पर पाबंदी लगाई जाए. याचिका में यह भी कहा कि सरकार चाहे तो शराब की बिक्री के लिए होम डिलीवरी सहित अन्य वैकल्पिक उपाय कर सकती है.

महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भर्ती में 1 पद खाली रखने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता भर्ती 2018 में याचिकाकर्ता की कैटेगरी बदलने के मामले में एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को 30 मई तक जवाब देने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश बबली की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने भर्ती में ओबीसी नॉन क्रीमीलेयर वर्ग में आवेदन किया था. वहीं, विभाग ने पूरी चयन प्रक्रिया में उसे नॉन क्रीमीलेयर वर्ग में ही माना, लेकिन विभाग की ओर से जारी अंतिम चयन सूची में उसे ओबीसी क्रीमीलेयर में शामिल करते हुए सामान्य वर्ग में मान लिया गया. जिसके चलते वह चयन से बाहर हो गई.

याचिका में गुहार की गई कि उसे नॉन क्रीमीलेयर में मानते हुए नियुक्ति दी जाए. वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता की ओर से इस संबंध में राज्य सरकार से निर्देश मांगने के लिए समय मांगा गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने भर्ती में एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखते हुए राज्य सरकार को जवाब पेश करने को कहा है.

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