जयपुर. सांभर की पक्षी त्रासदी आप भूले नहीं होंगे. प्रवासी पक्षियों की शरणगाह और बर्ड वाचर्स के लिए स्वर्ग कही जाने वाली सांभर झील इस बार सूनी है. पानी की कमी और मौसम में बदलाव का असर ये हुआ कि इस बार सांभर झील में प्रवासी पक्षी कम आए और जो पक्षी सर्दी में आए थे वे भी इस बार जल्दी ही यहां से विदा हो गए. देखिये ये खास रिपोर्ट..
नमक उत्पादन के लिए न केवल राजस्थान बल्कि देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाली सांभर झील हजारों किलोमीटर दूर से आने वाले प्रवासी पक्षियों की मुफीद शरणगाह रही है. यही कारण है कि पक्षी प्रेमियों के लिए सांभर झील को स्वर्ग भी कहा जाता है. जहां सैकड़ों प्रजातियों के लाखों प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं. पक्षी प्रेमी भी इस सीजन में इन मेहमान पक्षियों का दीदार करने और उनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद करने न केवल राजस्थान से आते हैं बल्कि देशभर से यहां आते हैं.
बीते कुछ समय से यहां आने वाले बर्ड वाचर्स की संख्या में खासी कमी आई है. इसका मुख्य कारण यह है कि बीते साल मानसून में सांभर झील और आसपास के इलाकों में कम बारिश होने से झील में पानी की आवक कम हुई. इसका असर ये हुआ कि यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या भी कम दर्ज की गई थी. अब इस साल मौसम में अचानक आए बदलाव और तापमान में बढ़ोतरी का असर ये हुआ कि झील का पानी जल्दी सूख गया है. इसके चलते जो प्रवासी पक्षी सांभर झील में आए थे वे भी अब विदा ले गए हैं. ऐसे में अब यहां आने वाले पक्षी प्रेमी निराश होकर लौट रहे हैं.
207 प्रजातियों के पक्षी आते हैं यहां
सांभर झील में आने वाले प्रवासी और स्थानीय पक्षियों को अपने कैमरे में कैद करने वाले युवा फोटोग्राफर गौरव शर्मा बताते हैं कि वे करीब 207 प्रजातियों के प्रवासी और स्थानीय पक्षियों को चिह्नित करके अपने कैमरे में कैद कर चुके हैं. हर साल लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी सर्दी की शुरुवात में सांभर झील पहुंचते हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या लेसर और ग्रेटर फ्लेमिंगो की होती है. इसके अलावा भी कई प्रजातियों के पक्षी यहां प्रवास के लिए आते हैं.
लेकिन इस सीजन में यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या काफी कम रही है. इसके पीछे का कारण वह बताते हैं कि सांभर झील और आसपास के इलाके में बीते साल मानसून में काफी कम बारिश हुई थी. इसके चलते झील में पर्याप्त पानी नहीं आया. ऐसे में यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या काफी कम रही है.
नालियासर झील में आए ज्यादा पक्षी
उनका कहना है कि सांभर झील की बजाए इस बार नालियासर झील में प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी ज्यादा रही. जहां अपेक्षाकृत ज्यादा पानी था. नालियासर झील सांभर से करीब 12 किमी दूर है. उनका यह भी कहना है कि जो परिंदे हजारों किमी का सफर तय करके सांभर पहुंचे थे. उन्हें जब झील में पर्याप्त पानी नहीं मिला तो वे कुछ समय यहां बिताने के बाद यहां से चले गए. अब तामपान में बढ़ोतरी होने से झील में जो थोड़ा बहुत पानी था. वह भी सूख गया है. ऐसे में जो थोड़े बहुत पक्षी यहां रुके थे वे अब यहां से विदा ले चुके हैं.