स्पेशल रिपोर्टः सरकारी दफ्तरों पर मेहरबान जलदाय विभाग, लाखों बकाए के बाद भी वसूली में खानापूर्ति!
जनता में शुद्ध पेयजल सप्लाई की जिम्मेदारी जलदाय विभाग की होती है और लोगों तक पेयजल पहुंचाने के लिए विभाग जल योजनाएं भी बनाता है, लेकिन अगर राजस्व प्राप्ति सही तरीके से नहीं हो पाती है, तो योजनाएं भी प्रभावित होती हैं. ऐसा ही कुछ जलदाय विभाग के साथ भी हो रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...
सरकारी दफ्तरों पर मेहरबान जलदाय विभाग
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Published : Feb 10, 2021, 2:06 PM IST
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Updated : Feb 10, 2021, 4:34 PM IST
जयपुर. प्रदेश भर में पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी जलदाय विभाग की होती है, जलदाय विभाग आम जनता के अलावा सरकारी दफ्तरों में भी पानी पहुंचाता है. आम जनता और सरकारी दफ्तरों में पानी पहुंचाने के बदले जलदाय विभाग वसूली भी करता है. जयपुर शहर में ऐसे सैकड़ों सरकारी दफ्तर हैं, जहां लाखों रुपए पानी के बिल विभाग के बकाया चल रहे हैं, जिससे जलदाय विभाग के राजस्व पर भी असर पड़ रहा है.
सरकारी दफ्तरों पर मेहरबान जलदाय विभाग
जनता में शुद्ध पेयजल सप्लाई की जिम्मेदारी जलदाय विभाग की होती है और लोगों तक पेयजल पहुंचाने के लिए विभाग जल योजनाएं भी बनाता है, लेकिन अगर राजस्व प्राप्ति सही तरीके से नहीं हो पाती है, तो योजनायें भी प्रभावित होती हैं. ऐसा ही कुछ जलदाय विभाग के साथ भी हो रहा है. जलदाय विभाग के सरकारी दफ्तरों पर लाखों रुपए बकाया चल रहे हैं. वर्षों बीतने के बाद भी विभाग पैसा वसूल नहीं कर पा रहा, जिससे उसके राजस्व पर भी असर पड़ रहा है. विभाग आम लोगों से तो पानी के बिल की वसूली कर लेता है, लेकिन सरकारी दफ्तरों की बात होती है तो वह कदम पीछे खींच लेता है. नतीजा जितनी राजस्व प्राप्ति जलदाय विभाग को होनी चाहिए उतनी नहीं हो पाती.
जयपुर शहर को पेयजल सप्लाई के अनुसार दो भागों में बांटा गया है. इन दोनों ही भागों में सरकारी दफ्तर भी सैकड़ों की संख्या में हैं. जयपुर शहर में ऐसे सैकड़ों दफ्तर हैं, जहां जलदाय विभाग अपनी वसूली नहीं कर पा रहा. उसका कहना है कि यह एक सरकारी दफ्तर का दूसरे से जुड़ा हुआ मामला है.
अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि जिन सरकारी दफ्तरों में पानी के बिल बकाया चल रहे हैं, उन से लगातार संपर्क किया जा रहा है, उनसे काफी वसूली की गई है और यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है. अगर बिल में कोई परेशानी होती है तो उसे दूर कर वसूली की जा रही है.
उन्होंने कहा कि सरकारी दफ्तरों में पानी का दुरुपयोग नहीं होता है और ना ही इसका कमर्शियल उपयोग होता है, वहां सिर्फ पानी पीने के काम आता है, इसलिए कनेक्शन काटने की बजाय पिछला बिल जोड़कर भेजा जाता है और वसूली की जाती है. जिन सरकारी दफ्तरों का पानी का बिल बकाया चल रहा है, उसमें नगर निगम के जोन कार्यालय, पुलिस चौकियां, थाने, एमएलए क्वार्टर, जिलाधीश कार्यालय सरकारी स्कूल शामिल हैं.
जयपुर शहर में सैकड़ों सरकारी दफ्तरों के लाखों रुपए पीएचईडी विभाग के बकाया चल रहे हैं. हालांकि, विभाग का कहना है कि वे लगातार प्रयास करता है कि समय पर वसूली की जाए, लेकिन एक सरकारी दफ्तर का दूसरे सरकारी दफ्तर से पैसे वसूलना हमेशा से कठिन रहा है और पानी का मामला आने पर विभाग की ओर से रियायत भी दी जाती है, जिसके चलते पानी का बिल समय पर जमा नहीं कराया जाता, इसी का नतीजा है कि आज सरकारी दफ्तरों पर पीएचईडी विभाग का लाखों रुपए बकाया है.