जयपुर. राजस्थान में पायलट कैंप के कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद राजस्थान में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है. जब हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद पायलट कैंप के ही दूसरे विधायक वेद सोलंकी ने हेमाराम के इस्तीफे और राजनीतिक नियुक्तियों पर सवाल उठाए तो लगा कि एक बार फिर पायलट कैंप सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है, लेकिन असंतुष्टों की फेहरिस्त यहीं तक सीमित नहीं है.
ऐसा नहीं है कि प्रदेश में केवल वह विधायक ही सरकार या मंत्रियों के रवैए पर सवाल उठा रहे हैं जो पायलट कैंप से आते हैं, बल्कि हकीकत यह है कि राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद ऐसे कई विधायक हैं जो गहलोत कैंप के हैं और वह मंत्रियों के कामकाज के रवैये पर सवाल उठा रहे हैं. मंत्री, क्योंकि सरकार का हिस्सा होते हैं, ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर यह आवाज सरकार के खिलाफ ही मानी जाती है. ऐसे करीब आधा दर्जन विधायक हैं जो सरकार के मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठाते रहे हैं.
सचिन पायलट कैंप के विधायक अगर आवाज उठाते हैं तो उन्हें वैसे भी इस तरह देखा जाता है कि वह मुख्यमंत्री का विरोध करने के लिए यह बातें करते हैं. लेकिन गहलोत कैंप के विधायकों की आवाज में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी चिंता में डाल रखा है. भले ही गहलोत सरकार बचाने के लिए यह विधायक 35 दिन तक होटल में बाड़ाबंदी में रहे थे, लेकिन हर बार मंत्रियों के विरोध में उठने वाली अलग आवाज ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने अंतर्द्वंद की स्थिति जरूर पैदा कर दी है. आइए आपको बताते हैं कि गहलोत और पायलट कैंप के किन विधायकों ने उठाए सरकार और मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल.
गहलोत कैंप के विधायक :
बाबूलाल बैरवा : अगस्त महीने में पायलट कैंप की बगावत के बाद वापसी हो गई और दोनों कैंप में शांति संधि स्थापित हुई. लेकिन अक्टूबर महीने में गहलोत कैंप के विधायक बाबूलाल बैरवा ने गहलोत सरकार के मंत्रियों रघु शर्मा और बीडी कल्ला पर आरोप लगा दिए कि प्रदेश में दलित विधायकों की सुनवाई नहीं होती है. हालांकि, बाद में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बाबूलाल बैरवा की खुद सुनवाई की.
इंदिरा मीणा : इधर बाबूलाल बैरवा की समझाइश तो प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने कर दी, लेकिन दिसंबर में कांग्रेस की बामनवास विधायक इंदिरा मीणा ने खुद गोविंद डोटासरा पर ही काम नहीं करने के आरोप लगाते हुए अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिख दिया कि मैं प्रदेश अध्यक्ष व शिक्षा मंत्री से पूछना चाहूंगी कि विधायकों द्वारा जनता की समस्याओं को आपको बताया जाएगा तो इसके लिए कितनी बार आपके बंगले पर विधायकों को आना होगा. इसके बाद भी क्या सुनिश्चित है कि उनके कार्य होंगे या फिर उनके द्वारा दी गई चिट्ठी को कचरा पात्र में डाल दिया जाएगा. बाद में ये मामला प्रदेश प्रभारी अजय माकन तक पहुंचा.
अमीन खान : गहलोत कैंप के वरिष्ठ विधायक बाड़मेर के शिव से विधायक अमीन खान ने तो विधानसभा में ही कह दिया कि मंत्रीयों को मिलने वाली सुविधाओं पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए. ये मंत्री विधायकों की नहीं सुनते तो आम जनता का क्या हाल होगा.