जयपुर.राजधानी में गुरुवार को गोपाष्टमी पर गौमाता की पूजा-अर्चना की गई. जयपुर की गौशालाओं में गोपाष्टमी पर कार्यक्रम आयोजित किए गए. श्रद्धालुओं ने गायों की पूजा करके आशीर्वाद लिया. छोटी काशी के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में भी गोपाष्टमी महोत्सव काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. गोविंद देवजी मंदिर में श्रृंगार झांकी हुई.
ठाकुरजी ने केसरिया रंग की नटवर पोशाक में दर्शन दिए. इसके बाद गौमाता का पंचामृत अभिषेक किया गया. विशेष अलंकरण के साथ पुष्पों से गौमाता का श्रृंगार किया गया. बता दें कि कार्तिक शुक्ल अष्टमी गोपाष्टमी के रूप में मनाई जाती है. इस मौके पर मंदिरों से लेकर शहरभर में गौशालाओं में कई कार्यक्रम हुए. गौसेवा के साथ ही गौमाता का श्रृंगार कर आमजन ने गौपूजा की. गायों की पूजा-अर्चना कर हरा चारा, गुड़, मेथी के लड्डू खिलाए गए.
गोविंद देवजी मंदिर में गोपाष्टमी उत्सव के तहत महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सुबह श्रृंगार झांकी के बाद चांदी की गौमाता का वेदमंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक कर विधिवत पूजन किया गया. पुष्पों से श्रृंगार कर आरती उतारी. इस अवसर पर ठाकुरजी को केसरिया रंग की नटवर वेश पोशाक धारण कराई और विशेष अलंकार धारण कराए. गोशालाओं में गोवंश का पूजन किया गया.
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सांगानेर स्थित पिंजरापोल गौशाला में गोपाष्टमी महोत्सव पर कार्यक्रम किए गए. शाम को गौ मेला आयोजित किया जाएगा. पूरे दिन श्रद्धालु गौ-पूजन और गौ-दर्शन कर सकेंगे. दुर्गापुरा स्थित राजस्थान गोसेवा संघ की गोशाला में गोपाष्टमी पर गोपूजन हुआ. हिंगोनिया स्थित गोशाला, बगरू स्थित श्रीराम गोशाला सहित अन्य गोशालाओं में भी गोपाष्टमी धूमधाम से मनाई गई. जानकारी के मुताबिक हिंदू संस्कृति में गाय का विशेष स्थान माना जाता है. गाय को माता का दर्जा भी दिया गया है. माना जाता है कि गाय, गुरु और गोविंद की पूजा करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है.