नई दिल्ली/जयपुर. राज्यवर्धन राठौड़ ने सोमवार को लोकसभा में डीएवाई-एनआरएलएम की शुरूआत से लेकर अक्तूबर 2021 तक इस योजना के अधीन (Deendayal Antyodaya Yojana discussion in Lok Sabha) ब्याज सहायता योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को कुल वितरित की गई धनराशि, योजना के अंतर्गत सहयोग करने वाले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी समितियों की राज्य-वार कुल संख्या तथा राजस्थान के जिला स्तर पर वितरण आदि से संबंधित सवाल पूछे. राठौड़ की ओर से पूछे गए सवालों का ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने जवाब दिया.
ग्रामीण विकास राज्य मंत्री जवाब दिया कि दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत महिला एसएचजी को ब्याज सहायता दो तरह से दी जाती है (i) श्रेणी- I जिलों के रूप में संदर्भित 250 पिछड़े जिलों में सभी महिला स्व-सहायता समूह 7 फीसदी प्रति वर्ष की दर से 3 लाख रुपये तक के अग्रिम ऋण के लिए पात्र हैं. बैंकों को उधार दर और 7 फीसदी के बीच अंतर की सीमा तक 5.5 फीसदी की सीमा के अधीन आर्थिक सहायता दी जाती है. तुरंत भुगतान करने वाले एसएचजी को 3 फीसदी प्रति वर्ष की अतिरिक्त छूट भी दी जाती है.
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योजना का यह भाग ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सीधे भाग लेने वाले बैंकों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है और पूरी तरह से डीएवाई-एनआरएलएम के वार्षिक बजट के केंद्रीय घटक से वित्त पोषित होता है. ब्याज सहायता राशि सीधे एसएचजी को उधार देने वाले बैंकों को दी जाती है. अप्रैल 2013 से अक्टूबर 2021 तक, कुल 6750.62 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न प्रतिभागी बैंकों को हस्तांतरित की गई है.
(ii) देश के शेष जिलों, जिन्हें श्रेणी- II जिलों के रूप में संदर्भित किया जाता है, में डीएवाई- एनआरएलएम के तहत 3 लाख रुपये तक के ऋण का लाभ लेने वाली महिला स्व-सहायता समूहों को बैंक की उधार दर और 7 फीसदी के बीच अंतर की सीमा तक ब्याज सहायता दी जाती है, बशर्ते अधिकतम सीमा 5.5 फीसदी प्रति वर्ष हो. ब्याज सहायता योजना का यह हिस्सा संबंधित राज्य सरकारों द्वारा स्थापित राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और इसके लिए बजटीय प्रावधान केंद्र और राज्य सरकारों से प्राप्त वार्षिक अनुदान से किए जाते हैं, जो वार्षिक आवंटन के 50 फीसदी से अधिक नहीं होते हैं.
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अप्रैल, 2013 में योजना की शुरुआत से लेकर अक्टूबर, 2021 तक महिला स्व-सहायता समूहों को विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा 538.30 करोड़ रुपये की राशि दी गई है. संबंधित राज्यों में स्व-सहायता समूहों को ऋण देने वाले जिला सहकारी बैंकों सहित सभी 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और 31 राज्य सहकारी बैंक ब्याज सहायता योजनाओं के तहत दावा प्रस्तुत करने के लिए पात्र हैं. ग्रामीण क्षेत्र में महिला एसएचजी को उधार देने वाले संबद्ध जिला केंद्रीय सहकारी बैंक सहित राजस्थान में दो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक, बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक) और राजस्थान एपेक्स सहकारी बैंक, ब्याज सहायता योजना के तहत दावे प्रस्तुत करने के लिए पात्र हैं.