जयपुर.राजधानी के झोटवाड़ा थाना इलाके में स्थित दिवाकर पब्लिक सेकेंडरी स्कूल से 14 मई को दूसरी पारी में आयोजित की गई कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का प्रश्न-पत्र लीक करने वाले जिन लोगों को एसओजी ने गिरफ्तार किया है, वे लोग एक संगठित गिरोह के इशारे पर काम कर रहे थे. प्रकरण में अब तक की गई कार्रवाई को लेकर एडीजी अशोक राठौड़ ने प्रेस वार्ता कर कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा (Constable Bharti paper leak case update) कीं. राठौड़ ने बताया कि दिवाकर पब्लिक सेकेंडरी स्कूल पेपर लीक करने के लिए एक आदर्श परीक्षा केंद्र था. स्कूल में बने जिस कक्ष को स्ट्रांग रूम बनाया गया था, वहां तक पहुंचने के लिए पास ही स्थित कमरे में पीछे की तरफ एक दरवाजा ओर मौजूद था. उस दरवाजे पर किसी भी तरह का कोई लॉक नहीं लगवाया गया और ना ही उसकी सुरक्षा में किसी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया.
मोहन उर्फ छोटूराम नहीं है गैंग का सरगना: राठौड़ ने प्रकरण में परीक्षा केंद्र वीक्षक मोहन उर्फ छोटूराम को दिल्ली से गिरफ्तार किए जाने की बात पर कहा कि वह पेपर लीक करने वाली गैंग का सरगना नहीं है. वह भी गैंग के ऊपर बैठे सरगनाओं के इशारे पर काम कर रहा था. अब मोहन को गिरफ्तार करने के बाद गैंग से जुड़े हुए अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है. इसके साथ ही परीक्षा केंद्र से पेपर आउट करने के बाद सॉल्व करने के लिए किन लोगों को भेजा गया, सॉल्व किया गया पेपर किन लाभार्थियों तक पहुंचाया गया और उसके लिए उनसे कितनी राशि ली गई, इन तमाम बिंदुओं का गहन अनुसंधान किया जा रहा है.
आरोपियों के बैंक खाते फ्रीज:राठौड़ ने बताया कि प्रकरण में अब तक गिरफ्तार किए जा चुके 14 आरोपियों से पूछताछ जारी (Constable paper leak accused arrested) है. साथ ही तमाम आरोपियों के बैंक खातों को फ्रीज करवाया गया है. पेपर लीक करने के प्रकरण में आरोपियों ने नकद राशि का लेनदेन किया गया है या नहीं, इसके बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है. पेपर लीक करने के प्रकरण में गिरफ्तार किए गए तमाम आरोपियों ने अलग-अलग भूमिका निभाई है. यहां तक की पेपर को सेफ में से बाहर निकालने से पहले भर्ती बोर्ड के जिस कागज पर पांच अधिकारियों के साइन किए जाते हैं और जिनकी मौजूदगी में पेपर निकाला जाता है, वह अधिकारी उस वक्त स्कूल में मौजूद नहीं थे. ऐसे में उन तमाम अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है जिन की गैरमौजूदगी में पेपर को आउट किया गया. बिना अधिकारियों की सहमति के पेपर को सेफ में से बाहर निकाला जाना नामुमकिन है, ऐसे में तमाम अधिकारियों के पेपर लीक करने वाले गिरोह से जुड़े होने की संभावना है.