जयपुर. राजस्थान में बीते कई दिनों से गहलोत सरकार और पायलट गुट, बसपा और निर्दलीय विधायकों के बीच चल रहे शीत युद्ध पर हाल-फिलहाल विराम लगता नजर आ रहा है. इस बीच, राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) के प्रभारी अजय माकन ने दिल्ली दरबार से नाखुश होकर लौटे सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे की नाराजगी की खबरों को बेबुनियाद भी बताया है. लेकिन सियासत के जानकार बता रहे हैं कि पायलट कैंप और राजस्थान कांग्रेस के साथ ही बसपा से कांग्रेस में आये और पिछले साल गहलोत सरकार ((Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) को जीवनदान देने वाले निर्दलीय विधायकों के गुट में छाई ये शांति तूफान के पहले की स्थिति की आहट दे रही है.
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दरअसल, बसपा से कांग्रेस में आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा का हाल ही दिया गया बयान अंदरखाने की सियासत में चल रहे अंतर्द्वंद के संकेत दे रहा है. गुढ़ा ने कहा था कि अगर बसपा से कांग्रेस में आए छह और 10 निर्दलीय विधायकों ने पिछले साल गहलोत सरकार पर छाए राजनीतिक संकट के समय सरकार का साथ नहीं दिया होता तो आज सरकार की पहली पुण्यतिथि मन रही होती. ऐसे में साफ है अब निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायक एकजुट होकर रणनीति बनाने में जुटे हैं.
अगर कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो जाता है और पायलट कैंप के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिल जाती है तो निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की हैसियत सरकार में कम हो जाएगी. ऐसे में सभी निर्दलीय विधायक और बसपा से कांग्रेस में आए विधायक एक साथ बैठकर रणनीति बना रहे हैं. खास बात यह है कि इस गुट में वे तीन निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं जो कहा जा रहा है कि पायलट कैंप के साथ है, क्योंकि इन पर पिछले साल गहलोत सरकार पर छाए अस्तित्व के संकट के समय मुकदमे भी दर्ज हुए थे.