जयपुर.बिजली संकट से जुंझ रहे राजस्थान को राहत प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित परसा कोल ब्लॉक में कोयला खनन आरंभ करने की दिशा में राज्य सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि अब केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय से भी हरी झंडी मिल गई है.
मंगलवार को केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने भी आवश्यक क्लियरेंस जारी कर दी है. इससे पहले केंद्र सरकार के वन, पर्यावर्ण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पिछली 21अक्टूबर को ही क्लियरेंस प्राप्त हुई है. गत 15 दिनों में राज्य सरकार दो महत्वपूर्ण विभागों से क्लियरेंस प्राप्त करने में सफल रही है. एसीएस ऊर्जा डॉ. अग्रवाल ने बताया कि पिछले दिनों सीएम अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने केंद्र सरकार (central government) को आवश्यक सभी क्लियरेंस जारी करने के लिए पत्र लिखे थे. साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर आवश्यक स्वीकृतियां जारी करने का आग्रह किया है.
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उन्होंने बताया कि अब केंद्र सरकार के संबंधित विभागों से क्लियरेंस जारी होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार से आवश्यक स्वीकृतियां जारी की जानी है. इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं. माना जा रहा है कि इस महीने के अंत या दिसंबर महीने की शुरुआत तक छत्तीसगढ़ सरकार से भी आवश्यक क्लियरेंस मिल जाएगी.
अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2015 में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम (Rajasthan Electricity Generation Corporation) को 841.538 हेक्टेयर क्षेत्र का छत्तीसगढ़ के सरगुजा में परसा कोल ब्लॉक आवंटित किया था. लंबे समय से केंद्रीय वन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन विभाग और कोयला मंत्रालय से क्लियरेंस नहीं मिलने से कोयले का उत्पादन शुरू नहीं हो पा रहा था. पिछले दिनों देशव्यापी कोयला संकट के चलते अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल दिल्ली गए थे. वहां उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा सचिव, केंद्रीय वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन सचिव और केंद्रीय कोयला सचिव से मिलकर प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखा था. इसके परिणाम स्वरूप 5 एमटीपीए के परसा कोल ब्लॉक की केंद्रीय स्तर पर लंबे समय से अटकी क्लियरेंस आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा कर जारी हो सकी.
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गौरतलब है कि राज्य में परसा ईस्ट और कांता बेसिन (Parsa East and Qanta Basin) में फेज वन में कोयले का खनन कर राज्य के विद्युत तापीय गृहों के लिए कोयला लाया जा रहा है. अभी केंद्र सरकार स्तर पर परसा कांता बेसिन के दूसरे चरण के 1136 हेक्टेयर के लिए वन भूमि में वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग से क्लियरेंस के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं. केंद्र से जल्द ही क्लियरेंस मिलने की संभावना है.
सुबोध अग्रवाल के अनुसार 841 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र के इस ब्लॉक से कोयले का उत्पादन आरंभ होने पर राज्य को प्रतिदिन करीब 2.7 रैक कोयले की मिल सकेगी. एक मोटे अनुमान के अनुसार इस ब्लॉक में 5 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयला उत्पादन होने की संभावना है. साथ ही इस नए ब्लॉक से सालाना एक हजार रैक मिलने की संभावना है. वहीं इस कोल ब्लॉक में 30 साल में 150 मिलियन टन कोयले का अनुमानित भंडार मौजूद है. इससे प्रदेश के तापीय विद्युत गृहों के लिए राज्य कोल ब्लॉकों से भी अधिक कोयला मिलने लगेगा.