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राजस्थान में कोरोना की केस स्टडी, जानें प्रदेश के 5 एपीसेंटर के बारे में

राजस्थान में 750 से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. ये आंकड़े हैरान और परेशान करने वाले हैं, लेकिन प्रदेश में कोरोना संक्रमण इतने तेजी से कैसे और कहां-कहां फैला इसकी ईटीवी भारत ने पड़ताल की, तो जो सच सामने आया वो आपको चौंका देगा. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...

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कोरोना की केस स्टडी

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Published : Apr 12, 2020, 10:52 AM IST

जयपुर. राजस्थान में इन पांच हॉटस्पॉट की रिपोर्ट को देखने के साथ ही आपको भी कहीं ना कहीं और सतर्क रहने की जरूरत है. हम आपको बताएंगे कि कैसे एक शख्स जो खुद कोरोना पॉजिटिव था और इसकी जानकारी उसे खुद भी नहीं थी, ऐसे में किसी ने अपने परिवार को तो किसी ने पूरे इलाके को कोरोना बांट दिया. आइए नजर डालते हैं कोरोना की केस स्टडी पर.

जयपुर: रामगंज बना कोरोना का एपीसेंटर

राजधानी जयपुर में कोरोना का पहला मामला 2 मार्च को सामने आया, जिसके बाद 25 मार्च तक ये मामले बढ़कर 8 हो गए. लेकिन 26 मार्च को जयपुर का रामगंज इलाका कोरोना के एपीसेंटर के रूप में तब्दील हो गया. अब तक अकेले रामगंज से 100 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं.

कोरोना की केस स्टडी

रामगंज में फैले संक्रमण का कारण था 12 मार्च को ओमान से लौटा एक शख्स, जिसे स्वास्थ्य विभाग ने 14 दिन होम क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए कहा, लेकिन वह लगातार अपने रिश्तेदारों से मिलता रहा. ऐसे में तबीयत बिगड़ने पर उसको अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 26 मार्च को उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. इसके बाद लगातार उसके संपर्क में आए लोग पॉजिटिव आते गए और रामगंज कोरोना का एपीसेंटर बन गया.

कोटा : टैक्सी ड्राइवर से फैला संक्रमण, एक मौत, 33 पॉजिटिव

04 अप्रैल, दिन शनिवार, कोटा के MBS अस्पताल में एक मरीज की मौत हुई, जिसके दूसरे दिन उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. इनके अलावा एक टैक्सी ड्राइवर की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई. जांच पड़ताल में पता चला कि टैक्सी ड्राइवर जयपुर से तबलीगी जमात के लोगों को लेकर कोटा आया था और मृतक इसी ड्राइवर के संपर्क में आने से कोरोना पॉजिटिव हुआ. कुछ ही घंटों में मृतक के परिवार के सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव आ गए. और देखते ही देखते कोरोना पॉजिटिव की संख्या कोटा में 33 पहुंच गई.

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जोधपुर : अहमदाबाद से लौटी महिला ने बांटा कोरोना

21 मार्च तक जोधपुर शांत था. इसके अगले दिन तुर्की से लौटे एक युवक में संक्रमण की पुष्टि हुई. फिर उसके चाचा-चाची भी पॉजिटिव पाए गए, जो तुर्की में उसके साथ थे. लेकिन दूसरी तरफ नागौरी गेट निवासी एक महिला से पूरा इलाका संक्रमण का हॉटस्पॉट बन गया. यह महिला बेटी के इलाज के लिए अहमदाबाद गई थी और लौटने पर पॉजिटिव पाई गई. महिला के जरिए कोरोना चाचा-चाची, भाभी और 2 अन्य लोगों में फैला. फिर वहां से 7 और पॉजिटिव सामने आए. इस इलाके में सर्वे करने वाला एक डॉक्टर भी संक्रमित हो गया. वहीं, जिले में मध्य प्रदेश से लौटे पॉजिटिव युवक से उसकी बहन भी संक्रमित हो गई. जिले में कोरोना से एक मौत भी हो गई.

झुंझुनू : फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वालों ने फैलाया कोरोना

8 मार्च को इटली से झुंझुनू आए दंपती और उनकी बच्ची जिले में कोरोना का पहला शिकार थे. ये तीनों शहर के विभिन्न अस्पतालों और बाजार में घूमते रहे. तबीयत बिगड़ने पर इन्हें 17 मार्च को अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां 18 मार्च को इनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. झुंझुनू में ये सिलसिला यहीं नहीं रुका, एक-एक कर 8 लोग ऐसे सामने आए जिनकी फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री थी, और वो सभी कोरोना पॉजिटिव रहे. अब तक झुंझुनू में कुल 31 लोग कोरोना से संक्रमित हैं. जिनमें से 16 लोग तबलीगी जमात के हैं.

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बांसवाड़ा: कोरोना का लोकल ट्रांसमिशन

4 अप्रैल, कुशलगढ़, यहां कोरोना की कहानी शुरू होती है, बोहरा समाज के एक पिता पुत्र के कोरोना पॉजिटिव मिलने से, जिसके बाद संक्रमण की पड़ताल के लिए स्वास्थ्य विभाग ने टीमें लगाई. लेकिन लोगों ने जानकारी देने में आना-कानी करना शुरू कर दिया. प्रारंभिक पड़ताल में ये बात सामने आई की 16 मार्च को पिता पुत्र ने समुदाय के साथ सामूहिक नमाज अदा की थी. वहीं, अब तक कुशलगढ़ के बोहरा समाज के 24 लोगों में कोरोना का संक्रमण फैल गया. मात्र 8 दिनों में यह संख्या दो से बढ़कर 37 तक जा पहुंची.

देखा जाए तो कोरोना से छिपे हुए राजस्थान में लोगों की लापरवाही से कोरोना गली-गली में पहुंच गया. हालांकि वक्त रहते लॉकडाउन लगने से होने वाली तबाही से प्रदेश बच गया. लेकिन सतर्कता अभी भी जरूरी है.

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