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Special: लॉकडाउन के बीच अमरापुर धाम की 'पुलाव प्रसादी' हजारों लोगों का भर रही पेट

कोरोना वायरस से बचाव के लिए किए गए 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद को हजारों हाथ बढ़े हैं. लोग दिन-रात राशन, भोजन और मास्क के साथ ही जरूरत की हर वस्तु बांट रहे हैं. इसमें समाजसेवी संस्थाएं, पुलिसकर्मी और विभिन्न सोसाइटीज के लोग शामिल हैं. जयपुर का अमरापुर धाम भी इन्हीं में से एक है. जहां की प्रसिद्ध पुलाव प्रसादी हजारों लोगों का पेट भर रही है.

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Published : Apr 3, 2020, 5:59 PM IST

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अमरापुर धाम की 'पुलाव प्रसादी' हजारों लोगों का भर रही पेट

जयपुर.जिले की एमआई रोड पर स्थित अमरापुर स्थान सिंधी समाज का ये धार्मिक स्थल ना सिर्फ अपनी सांस्कृतिक मेले और आयोजनों बल्कि यहां पर मिलने वाले पुलाव प्रसादी के लिए भी प्रसिद्ध है. अब यही पुलाव प्रसादी बेसहारा और गरीब लोगों के लिए उनकी भूख खत्म करने का सहारा बने हुए हैं, यहां हर दिन 8 से 10 हजार लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है. जिसमें चरक भवन में बनाए गए आइसोलेशन वार्ड के मरीजों के लिए सब्जी चपाती और जरूरतमंदों के लिए पुलाव तैयार किए जाते हैं.

अमरापुर धाम की 'पुलाव प्रसादी' हजारों लोगों का भर रही पेट

अमरापुर धाम के नंदलाल महाराज बताते हैं कि संत टेऊंराम के कथन और भगत प्रकाश जी महाराज की प्रेरणा पर सालों से यहां सेवा का कार्य किया जा रहा है. अभी कोरोना वायरस के चलते हजारों जरूरतमंद परिवारों को सूखे राशन के पैकेट उपलब्ध कराए गए हैं. वहीं हर दिन हजारों लोगों का भोजन तैयार कर शहर के विभिन्न इलाकों में पहुंचाया जा रहा है. इसमें पुलिस प्रशासन और सेवादार अपनी महती भूमिका अदा कर रहे हैं.

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सीजनल सब्जियों को मिलेगा जायका

उन्होंने बताया कि सुबह-शाम प्रमुख रूप से पुलाव ही बनाया जाता है. जिसमें सीजनल सब्जियों को भी मिक्स किया जाता है, ताकि पुलाव खाते समय किसी सब्जी की जरूरत न हो. सालों से ही ये पुलाव दिन में दो बार बनाए जा रहे हैं और बतौर प्रसाद इसका वितरण भी किया जाता है. इसके अलावा एसएमएस अस्पताल के बांगड़ यूनिट में भी ढाई से तीन हजार पैकेट पहुंचाए जाते हैं.

गुरू महाराज जी का प्रसाद

नंदलाल महाराज के अनुसार पुलाव तो सिर्फ नाम होता है, बाकी ये गुरु महाराज का प्रसाद है और प्रसाद में स्वाद स्वतः आ जाता है. फिलहाल ये प्रसाद स्वाद के साथ जरूरतमंदों की पेटक्षुधा बुझाने का जरिया बना हुआ है.

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