बीकानेर. कृषि कानून को लेकर पूरे देश में सियासत चरम पर है. कड़ाके की सर्दी के बीच राजनीति की गर्माहट में किसान अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है. सरकार भी अब थोड़ी बहुत बैकफुट पर नजर आ रही है और संशोधन को लेकर बात कह रही है. किसानों के हित में बने इस कानून की बात कहते हुए सरकार जहां किसानों के आत्मनिर्भर होने की बात कह रही है, तो विपक्ष और किसान इसे कॉर्पोरेट के लिए लाया गया कानून बता रहे हैं.
कृषि कानून और प्रदेश सरकार की 2 साल के कार्यकाल पर ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए केंद्र राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि 1990 से सुधार को लेकर लगातार मांग उठ रही थी और किसानों की स्थिति उठते हुए मांग राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में आई. जिसमें भाजपा के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप पार्टी और द्रमुक ने भी अपने घोषणापत्र में इसे जगह दी थी.
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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता में किसान सर्वोच्च है और यही कारण है कि किसानों के हितों के लिए कई चीजें केंद्र सरकार लेकर आई है और किसी सुधार को लेकर ही यह कानून बनाया गया है, लेकिन अब विपक्ष इस पर राजनीति कर रहा है और कुछ ऐसे तत्व जो राजनीतिक पार्टी से जुड़े हुए हैं, वह इस आंदोलन में शामिल होकर किसानों और सरकार के बीच गतिरोध पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की कानून के कुछ बिंदुओं पर आपत्ति है और उसको संशोधन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री ने साफ कर दिया है कि वे इसे मान रहे हैं.