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सिलिकोसिस मरीजों को मिलने वाली सहायता राशि पर शातिरों की नजर, फर्जी कर रहे आवेदन...11 हजार से अधिक एप्लीकेशन रद्द

भरतपुर जिले में सिलिकोसिस बीमारी (Silicosis Patient in Bharatpur) तेजी से लोगों को शिकार बना रही है. सिलिकोसिस के कारण एक साल में 204 लोगों की मौत हो गई. इस बीमारी को देखते हुए राज्य सरकार ने आर्थिक सहायता राशि देती है, लेकिन इस राशि को पाने के लिए कई लोग फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के जुगत में लगे रहते हैं. स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे 11 हजार से अधिक आवेदन निरस्त किए हैं.

Workers doing the work of grinding stones
पत्थरों की घिसाई का काम करते श्रमिक...

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Published : Apr 7, 2022, 5:53 PM IST

भरतपुर.जिले में सिलिकोसिस तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है. पिछले एक साल में जिले के 204 लोग सिलिकोसिस बीमारी से मौत के मुंह में समा गए. सिलिकोसिस बीमारी की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार की ओर से मरीजों और मृतक के आश्रितों को आर्थिक सहायता राशि (silicosis assistance amount 2022) उपलब्ध कराई जाती है. यही वजह है कि सिलिकोसिस के वाजिब मरीजों के साथ ही कुछ लोग सहायता राशि के लालच में फर्जी आवेदन भी कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग जांच के दौरान सैंकड़ो आवेदन निरस्त कर रहा है.

4 साल में 636 की मौतः कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अविरल सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 से सिलिकोसिस के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हुई. तब से अब तक पूरे जिले में सिलिकोसिस के 2209 मरीज प्रमाणित हो चुके हैं. जबकि इनमें से 636 लोगों की सिलिकोसिस से (Death Due to Silicosis in Rajasthan) मौत हो चुकी है. सिलिकोसिस लोगों को कितनी तेजी से शिकार बना रहा है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 1 अप्रैल 2021 से अब तक सिर्फ 1 साल में जिले के 204 लोगों की सिलिकोसिस से मौत हो चुकी है.

क्या कहते हैं भरतपुर जिला क्षय रोग अधिकारी...

11,943 आवेदन हुए रद्दः डॉ. अविरल सिंह ने बताया कि राजस्थान सरकार की ओर से सिलिकोसिस मरीजों के लिए रजिस्ट्रेशन की ऑनलाइन व्यवस्था है. इसके लिए मरीज ऑनलाइन पोर्टल से आवेदन करते हैं. बीते 4 वर्ष की बात करें तो ऐसे बहुत सारे मरीजों ने सिलिकोसिस मरीज के रूप में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया, जिनमें वास्तव में सिलिकोसिस के कोई लक्षण नहीं थे. जब स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल बोर्ड में आवेदनकर्ताओं की स्वास्थ्य जांच की गई तो उनमें सिलिकोसिस के लक्षण नहीं पाए गए. जिसके चलते 11,943 आवेदन रद्द कर दिए गए.

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ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ाः असल में सिलिकोसिस मरीजों को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता राशि का लाभ लेने के लिए कई लोग बिना बीमारी के भी सिलिकोसिस प्रमाण पत्र हासिल करना चाहते हैं. इसके लिए शातिर लोग अपने नाम से आवेदन करते हैं और जांच के दौरान किसी सिलिकोसिस पीड़ित मरीज को लेकर अस्पताल पहुंच जाते हैं. एक्स-रे जांच के दौरान यदि चिकित्सा कर्मियों को गच्चा दे दे तो सिलिकोसिस पीड़ित मरीज का एक्स-रे करा देते हैं और अपने नाम से प्रमाण पत्र बना लेते हैं. बीते वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब सिलिकोसिस प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए फर्जी लोगों को चिकित्सा कर्मियों की मुस्तैदी से पकड़ा गया. हालांकि, अब स्वास्थ्य विभाग की मुस्तैदी से ऐसे आवेदन कर्ताओं को स्वास्थ्य जांच के दौरान ही चिह्नित कर लिया जाता है और उनके आवेदन रद्द कर दिए जाते हैं.

भरतपुर क्षय निवारण केंद्र...

राज्य सरकार देती है लाखों की सहायताः राजस्थान सरकार प्रदेश के सिलिकोसिस मरीजों और मृतक आश्रितों को (Silicosis Aid Amount Fraud in Bharatpur) लाखों रुपए की सहायता राशि देती है. योजना के तहत सिलिकोसिस पीड़ित मरीज को 3 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है. जबकि मृतक आश्रित को 2 लाख रुपए की सहायता राशि और आश्रित को मासिक पेंशन दी जाती है. कुछ शातिर लोग इसी आर्थिक सहायता का अनुचित लाभ उठाने के लिए फर्जी आवेदन करने का रास्ता चुनते हैं.

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