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MSJ कॉलेज बना राजनीति का अखाड़ा, न्यायालय के आदेश के बाद भी प्राचार्य ने एसोसिएट प्रोफेसर को नहीं कराया कार्यभार ग्रहण

भरतपुर का महारानी श्री जया महाविद्यालय इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है. महाविद्यालय में सितंबर महीने से 13 एसोसिएट प्रोफेसरों के तबादले हुए, इनमें से 3 एसोसिएट प्रोफेसर ने उच्च न्यायालय की शरण में जाकर अपने स्थानांतरण को स्थगित करा लिया. लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कॉलेज प्रबंधन इनको वापस कार्यभार ग्रहण कराने में आनाकानी कर रहा है.

महारानी श्री जया महाविद्यालय  , Maharani Shri Jaya College
महारानी श्री जया महाविद्यालय

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Published : Dec 18, 2019, 11:20 PM IST

भरतपुर.जिले का महारानी श्री जया महाविद्यालय (एमएसजे कॉलेज) इन दिनों राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है. महाविद्यालय में सितंबर महीने से 13 एसोसिएट प्रोफेसरों के तबादले हुए. इनमें से 3 एसोसिएट प्रोफेसर ने उच्च न्यायालय की शरण में जाकर अपने स्थानांतरण को स्थगित करा लिया. लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद कॉलेज प्रबंधन इनको वापस कार्यभार ग्रहण कराने में आनाकानी कर रहा है.

MSJ कॉलेज बना राजनीति का अखाड़ा

नियमानुसार उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर आने वाले एसोसिएट प्रोफेसर को महाविद्यालय प्राचार्य कार्यभार ग्रहण करा सकते हैं, लेकिन कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतीश त्रिगुणायत का तो कई दिन के बाद भी कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया है. वहीं, एक अन्य एसोसिएट प्रोफेसर को भी कार्यभार ग्रहण करवाने के लिए 16 दिन तक अटका कर रखा गया.

राजनीतिक दबाव के चलते नहीं करा रहे कार्यभार ग्रहण

एमएसजे कॉलेज के इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सतीश त्रिगुणायत का 29 सितंबर 2019 को बहरोड़ कॉलेज में स्थानांतरण हुआ. उन्हें एमएसजे कॉलेज प्राचार्य ने 1 अक्टूबर 2019 को रिलीव कर दिया, जिसके बाद डॉ. सतीश त्रिगुणायत ने राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण ली और उन्हें न्यायालय ने 13 दिसंबर को स्थगन आदेश दे दिए. त्रिगुणायत का आरोप है कि उसके बाद से वह लगातार एमएसजे कॉलेज प्राचार्य से कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संपर्क कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण वह कार्यभार ग्रहण नहीं करा रहे.

आयुक्त के निर्देश पर कराएंगे कार्यभार ग्रहण

मामले को लेकर एमएसजे कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विवेक शर्मा ने बताया कि डॉक्टर सतीश त्रिगुणायत के कार्यभार ग्रहण करने से संबंधित प्रार्थना पत्र और कागजात आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा जयपुर भेज दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें कार्यमुक्त भी आयुक्तालय के आदेश से किया गया था और कार्यभार ग्रहण भी आयुक्तालय के आदेश से ही कराया जा सकेगा.

यह है नियम

आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा जयपुर के 8 जुलाई 2015 के आदेशानुसार उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर आने वाले कर्मचारियों को महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण कराने से पूर्व आयुक्तालय से अनुमति लेना अनिवार्य था. लेकिन 3 फरवरी 2016 को आयुक्तालय की ओर से एक नया आदेश जारी किया गया, जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ था कि पूर्व में जारी किए गए आदेश को प्रत्यहारित (वापस) किया जाता है. यानि प्राचार्य अपने स्तर पर इस तरह के कर्मचारियों को कार्यभार ग्रहण करवा सकता है.

16 दिन कराया इंतजार

एमएसजे कॉलेज के भौतिक शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हेमंत महावर ने बताया कि उनका स्थानांतरण ब्यावर महाविद्यालय में कर दिया गया था. महावर का आरोप था कि उनका स्थानांतरण राजनीति प्रेरित था. लेकिन उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय से 20 नवंबर 2019 को स्थगन आदेश प्राप्त हो गए. जिसके बाद वह लगातार कॉलेज प्राचार्य से कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संपर्क करते रहे लेकिन उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया.

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हेमंत महावर ने बताया कि वह 16 दिन तक रजिस्टर्ड पोस्ट से कॉलेज प्राचार्य और आयुक्तालय को अपनी उपस्थिति भेज दे रहे जिसके बाद उन्हें 6 दिसंबर 2019 को कार्यभार ग्रहण कराया गया. जबकि नियमानुसार प्राचार्य अपने स्तर पर उन्हें कार्यभार ग्रहण करा सकते थे.

गौरतलब है कि एमएसजे कॉलेज में एक साथ 13 एसोसिएट प्रोफेसरों का तबादला किया गया था. स्थानांतरण के दौरान कॉलेज का भूगोल विभाग तो पूरी तरह से खाली कर दिया गया, जबकि भूगोल विभाग में स्नातक और स्नातकोत्तर के करीब ढाई हजार नियमित विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.

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हालांकि, काफी समय बाद भूगोल विभाग में 2 एसोसिएट प्रोफेसरों को लगाया गया जिनमें से अभी तक सिर्फ एक ने ही कार्यभार ग्रहण किया है. वहीं, महाविद्यालय से स्थानांतरण वाले 13 में से 5 एसोसिएट प्रोफेसर ने न्यायालय की शरण ली और 3 को स्थगन आदेश भी प्राप्त हो गए हैं.

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