SPECIAL : भरतपुर की इन 'बाड़ी' का 'आंगन टेढ़ा' है...450 आंगनबाड़ियां किराए के भवनों में, अधिकतर में शौचालय तक नहीं
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित भरतपुर जिले के सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अब तक खुद की छत तक नसीब नहीं हो पाई है. जिले में 450 आंगनवाड़ी केंद्र अभी भी किराए के भवनों में संचालित हैं. ईटीवी भारत ने इन आंगनबाड़ियों का जायजा लिया.
किराए के कमरों में चल रही अधिकतर आंगनबाड़ियां
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Published : Jan 18, 2021, 5:14 PM IST
भरतपुर. बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की पहली कड़ी और कुपोषण दूर करने के लिए संचालित जिले के आंगनवाड़ी केंद्र असुविधा का दंश झेल रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से संचालित जिले के सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अब तक खुद की छत तक नसीब नहीं हो पाई है। यही वजह है कि जिले में 450 आंगनवाड़ी केंद्र अभी भी किराए के भवनों में संचालित हैं, जिनमें से अधिकतर में उचित शौचालय की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। शहर के ऐसे ही कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
भरतपुर : किराए के कमरों में चल रही अधिकतर आंगनबाड़ियां
एक कमरे के भवन में केंद्र
ईटीवी भारत की टीम भरतपुर शहर के पुराना बिजलीघर स्थित एक आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची जहां यह केंद्र किराए के एक कमरे में संचालित होता मिला। जानकारी करने पर पता चला कि यहां केंद्र की कार्यकर्ताओं और बच्चों के लिए शौचालय तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सीमा देवी ने बताया कि फिलहाल वह मकान मालिक के शौचालय का उपयोग करते हैं। कुछ ऐसे ही हालात नगर निगम के पीछे जाटव बस्ती स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर भी मिले.
पुराना बिजलीघर स्थित आंगनवाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता सीमा देवी ने बताया कि यहां पर 70 से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। फिलहाल कोरोना संक्रमण के चलते बच्चे आंगनवाड़ी केंद्र नहीं आ रहे। लेकिन सामान्य दिनों में सभी बच्चे एक साथ आते हैं तो उनको एक कमरे में बैठाने के लिए पर्याप्त स्थान भी उपलब्ध नहीं हो पाता है.
आंगनबाड़ियों में नहीं हैं सुविधाएं
न शौचालय, न खिलौने
जब ईटीवी भारत की टीम नगर निगम के पीछे जाटव बस्ती स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची, तो यहां भी सिर्फ किराए के एक कमरे में ही पूरा केंद्र संचालित होता मिला। यहां भी शौचालय का अभाव मिला। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी ने बताया कि केंद्र में बच्चों के खेलने के लिए खिलौने उपलब्ध नहीं है। कई बार भामाशाहों से बच्चों के लिए खिलौने दान करने की अपील भी की लेकिन कोई भामाशाह आगे नहीं आया। पुराना बिजलीघर स्थित आंगनवाड़ी केंद्र पर भी बच्चों के लिए खिलौने उपलब्ध नहीं थे। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी ने बताया कि उनकी केंद्र पर बच्चों का वजन मापने के लिए मशीन तक उपलब्ध नहीं है.
किराए के कमरों में चल रही अधिकतर आंगनबाड़ियां
जेब से देना पड़ता है किराया
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा देवी और सीमा देवी ने बताया कि विभाग की ओर से आंगनवाड़ी केंद्र के लिए 750 रुपए प्रति माह कराया मिलता है. लेकिन आंगनवाड़ी केंद्र पर बिजली व अन्य खर्चे के लिए उन्हें अपने जेब से पैसे देने पड़ते हैं. ऐसे में प्रतिमाह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को किराए के अलावा करीब 250-250 रुपए का अतिरिक्त भार उठाना पड़ता है.
गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से भरतपुर जिले में कुल 2053 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं. जमीनी हकीकत यह है कि जिन आंगनवाड़ी केंद्रों को प्राथमिक स्कूल में स्थान मिल गया है वहां तो हालात फिर भी काफी बेहतर हैं. लेकिन जो आंगनवाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हैं वहां कार्यकर्ताओं और बच्चों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.