अलवर. जिले में कोरोना वायरस का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. प्रदेश में नए पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं. ऐसे में प्रशासन की तरफ से भी पूरी तैयारी कर ली गई है. इसके लिए अलवर प्रशासन ने थ्री लेयर जांच और इलाज की तैयारी की है. बता दें कि जयपुर के बाद प्रदेश में जनसंख्या घनत्व के हिसाब से अलवर दूसरा बड़ा जिला है. एनसीआर से सटे होने के कारण अलवर जिले का प्रदेश में खास महत्व है. अलवर राजस्थान का सिंहद्वार होने के साथ ही प्रवेश द्वार भी है. सीमावर्ती जिला होने के कारण उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से अलवर की सीमा लगती है.
ऐसे में कोरोना वायरस का खतरा अन्य जगहों की तुलना में अलवर में ज्यादा है. हालांकि अभी तक जिले में पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम है, लेकिन उसके बाद भी अलवर में प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. अलवर जिले में 150 से अधिक निजी अस्पताल है, जबकि 36 सीएससी, 122 पीएससी, एक सेटेलाइट अस्पताल, एक सामान्य अस्पताल सहित शहर में डिस्पेंसरी हैं. इन सभी में कुल 69 वेंटिलेटर है. इसके अलावा जिले के सरकारी अस्पतालों में करीब 300 डॉक्टर हैं. साथ ही 2000 के आस-पास नर्सिंग स्टाफ हैं. आने वाले खतरे को देखते हुए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है.
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अलवर में प्रशासन की तरफ से 3 लेयर जांच और इलाज की व्यवस्था की है. इसके तहत तीन स्तरों पर मरीजों को इलाज और जांच की सुविधा मिलेगी. प्रशासन की तरफ से रेंडमली भी लोग की जांच कराई जा रही है. इसके अलावा जो लोग संदिग्ध हैं, उन पर लगातार नजर रखने, टीम द्वारा घर-घर सर्वे करने, होम आइसोलेशन के अलावा सभी विधानसभाओं और क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाए हुए हैं, जिनमें लगातार लोगों को रखा जा रहा है. इसके अलावा एमआईएस स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज भवन का भी प्रशासन ने अधिग्रहण कर लिया है, वहां 200 से अधिक संदिग्ध लोग भर्ती हैं.