अजमेर. सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने कहा कि अफगानिस्तान में बिगड़े हालातों का जिम्मेदार अमेरिका है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने तालिबानी वर्तमान सदर से दुबई में बातचीत करके एग्रीमेंट कर लिया. दुनिया के अमन को अगर खतरा उत्पन्न हुआ है तो इसके लिए अमेरिका ही जिम्मेदार है.
उन्होंने कहा कि अमेरिका बताए कि उसने अपनी फ़ौज अफगानिस्तान से क्यों हटाई? तालिबानियों ने जिस तरह से अफगानिस्तान प्रेसिडेंट हाउस पर हथियारों से लैस होकर कब्जा किया, इससे वह दुनिया को क्या संदेश देना चाहता है, जबकि प्रेसिडेंट खुद प्रेसिडेंट हाउस से पलायन कर गए थे. पड़ोसी मुल्कों पर दहशत बनाने के लिए तालिबानियों ने हथियारों के साथ प्रेसिडेंट हाउस में एंट्री की. इस दौरान अगर प्रेसिडेंट वहां मौजूद रहते तो क्या तालिबानी उन्हें छोड़ देते? तालिबान का इतिहास देखना चाहिए.
'तालिबान का कब्जा अमन के लिए खतरा' आबेदीन ने कहा कि भारत और भारतवासियों को सबसे ज्यादा खतरा इस बात का है कि भारत ने अफगानिस्तान में विकास किया, वहां जम्हूरियत के लिए पार्लियामेंट बना कर दी, अब वह किस हाल में रहेगी. दुनिया के सामने तालिबान ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है. अफगानिस्तान में आतंकवाद पाकिस्तान की वजह से फैला है. आतंकवाद को फाइनेंस और हथियार पाकिस्तान ने उपलब्ध करवाए हैं.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पूर्व में जो तालिबानी पकड़े गए थे उनके हथियारों पर अंकित था मेड इन पाकिस्तान. इससे साबित होता है कि पड़ोसी मुल्कों में यह अमन कायम नहीं होने देना चाहते, इसलिए भारत के लिए यह जरूरी है कि यूनाइटेड नेशन की स्वीकृति से अपनी फौज अफगानिस्तान भेजे. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना वहां फंसे भारतीय लोगों को सुरक्षित हिंदुस्तान लेकर आए, बल्कि बेकसूर बेगुनाह बच्चे, बूढ़े, महिलाएं जो वहां फंसे हुए हैं उनकी मदद करे. ताकि हिंदुस्तान दुनिया में एक मिसाल कायम कर सके कि हम क्या हैं और पड़ोसी मुल्क कैसे हैं.
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वहीं, दरगाह के खादिम सरवर चिश्ती ने बताया कि 1979 से तालिबानी सक्रिय हुए. पहले यूएसएसआर को तोड़ा फिर अमेरिका और नाटो से लड़े और आखिर में काबुल पर तालिबानियों की हुकूमत हो गई. उन्होंने कहा कि हम दरगाह और खानखाहो के सूफी लोग हैं. तालिबानी जिस विचारधारा को मानते हैं वह सब जानते हैं. पाकिस्तान में भी सुफी दरगाह पर ब्लास्ट हुए, इसमें किसका हाथ था यह भी दुनिया जानती है. मौजूदा हालातों में दो बातें कहना चाहूंगा कि इस वक्त हिंदुस्तान में एकता की बहुत ही जरूरत है. हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक सद्भाव की काफी जरूरत है. वरना देश को बहुत बड़ा नुकसान होगा.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अफगानिस्तान में पैसा लगाने से पहले सोचना चाहिए था, जो पैसा लगाया जा रहा है उस पैसे का कोई सदुपयोग होगा. भारतीय आयकर दाताओं का यह पैसा वेस्ट जाएगा. तालिबान में बदले हालातों की वजह से भारत की डिप्लोमैटिक मिशन को बहुत बड़ा आघात पहुंचा है. ऑल इंडिया सूफी सज्जादा नशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि मोहर्रम का महीना चल रहा है. कर्बला की जंग में इमाम हुसैन ने किस तरह से अपनी शहादत दी थी, इस अवसर पर अफगानिस्तान के लोगों के लिए दुआ करूंगा कि अल्लाह उन्हें महफूज रखें और वहां अमन कायम हो. अफगानिस्तान में बदले हालात न केवल अफगानिस्तान के लिए, बल्कि दुनिया के लिए चिंताजनक है. खास तौर पर पड़ोसी मुल्क के लिए भी चिंताजनक है.
नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि वीडियो फोटो में साफ दिख रहा है कि तालिबानियों ने काबुल प्रेसिडेंट कार्यालय में कब्जा किया तो उनके हाथों में हथियार थे. इससे तालिबानियों ने अपनी आगे की मंशा जाहिर कर दी है. भारत के लिए भी चिंताजनक हालात हैं. मैं भारत की हुकूमत से अपील करता हूं कि सबसे पहले अफगानिस्तान में जितने भी भारतीय फंसे हुए हैं उन्हें सुरक्षित वहां से हिंदुस्तान लेकर आएं, वहां फंसे लोगों की मदद करें. अफगानिस्तान में हुकूमत नहीं रही है. लोग वहां से पलायन कर रहे हैं. अफगानिस्तान के एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ जमा है.
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चिश्ती ने कहा कि यूएन की सहायता से भारत को हर संभव मदद करनी चाहिए. तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा होना एशिया में सक्रिय उन सभी आतंकवादी संगठनों शह देना है. भारत पहले ही आतंकवादी गतिविधियों से परेशान रहा है. ऐसे लोग मजबूत होंगे तो भारत की एकता और सुरक्षा को खतरा रहेगा. साथ ही उन मुल्कों को भी ताकत मिलेगी जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं. भारत का अमन खराब करने के लिए हमेशा से पड़ोसी मुल्क सक्रिय रहे हैं. पाकिस्तान हमेशा तालिबानियों को समर्थन देता आया है. इससे पाकिस्तान को और सहयोग मिलेगा.
उन्होंने कहा कि मैं हिंदुस्तान के लोगों को भी एक बात कहना चाहता हूं. कौम से मेरा भी यह सवाल है, जो लोग कहते हैं कि इस्लामिक कानून की बात करते हैं तो वह देख सकते हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान आ चुका है. वहां की आवाम अफगानिस्तान को छोड़कर क्यों भाग रही है? वहां की आवाम सड़कों पर आ गई है. अफगानिस्तान में तालिबान इस्लामिक कानून लागू करेगा कि वहां की आवाम इस्लामिक कानून को मानने की बजाय वहां से पलायन कर रही है, इस पर सोचने की बहुत जरूरत है.