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SPECIAL: अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ रहा विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर, 3 साल से महंत की भी नहीं हो रही नियुक्ति - Jagat Brahma temple of ajmer

भारत के प्रमुख मंदिरों में पुष्कर के जगतपिता ब्रह्मा मंदिर का विशेष स्थान है, लेकिन प्रशासन की कमजोर क्षमता के चलते जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. दरअसल मंदिर में एक महंत का स्थान बेहद जरूरी होता है, लेकिन इस मंदिर के महंत सोमपुरी की 3 साल पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी. जिसके बाद से मंदिर में महंत की नियुक्ति नहीं हो पाई.

Jagat Brahma temple of ajmer,  Mahant is not appointed in Jagat Brahma temple
जगतपिता ब्रह्मा मंदिर में 3 साल से खाली है महंत का पद

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Published : Aug 13, 2020, 4:27 PM IST

Updated : Aug 14, 2020, 6:40 PM IST

अजमेर.तीर्थ गुरु पुष्कर में विश्व का एक मात्र जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. कहते हैं कि ब्रह्मा का एकमात्र यह स्थान आदि अनादि काल से है. आदि गुरु शंकराचार्य ने ब्रह्मा के स्थान को मंदिर का स्वरूप दिया था. मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर हमेशा से महंत पद की परंपरा रही है, लेकिन 11 जनवरी 2017 में महंत सोमपुरी की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. जिसके बाद से मंदिर में महंत की नियुक्ति नहीं हो पाई. ऐसे में तत्कालीन सरकार ने दखल देकर मंदिर में व्यवस्थाओं को लेकर प्रबंध समिति बना दी, इसको लेकर लोगों में रोष व्याप्त है. लोग चाहते हैं कि मंदिर में परंपरा अनुसार महंत की नियुक्ति हो.

जगतपिता ब्रह्मा मंदिर में 3 साल से खाली है महंत का पद

3 सालों से बिना महंत के चल रहा मंदिर

विश्व का इकलौता ब्रह्मा का मंदिर साढ़े तीन सालों से भी अधिक समय से बिना महंत के संचालित है. ऐसा नहीं है कि महंत के लिए दावेदारों की कोई कमी है. महंत सोमपुरी के निधन के बाद कई लोगों ने महंत के लिए दावा किया. विवाद की स्थिति को सुलझाने के बजाय सरकार ने मंदिर में व्यवस्थाओं के लिए प्रबंध समिति बना दी. जिसका अध्यक्ष कलेक्टर को बनाया गया. इसके अलावा महेंद्र ओमपुरी के निधन से पूर्व बनाए गए ट्रस्टियों पर भी उठे और मामला अदालत में पहुंच गया. फिलहाल मंदिर की व्यवस्थाएं प्रबंध समिति देख रही है.

प्रबंध समिति बनाने से पहले सरकार और प्रशासन की ओर से कई दावे किए गए थे, लेकिन मंदिर में धार्मिक क्रियाकलापों की व्यवस्थाओं को लेकर यह सभी दावे फेल नजर आते हैं. मंदिर में लगे दानपात्र में आने वाला चढ़ावा प्रबंध समिति के जरिए सरकार को पहुंच रहा है.

विश्व का एक मात्र जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर

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पुष्कर के स्थानीय अरुण पाराशर ने बताते हैं 'मंदिर की परंपराएं महंत के होने पर ही पूरी हो सकती हैं, सरकार के भरोसे नहीं हो सकती. हां सरकार मंदिर के विकास के कार्यों में सहयोग करे जब तक तो ठीक है, लेकिन मंदिर की पारंपरिक व्यवस्थाओं में सरकार का दखल होना गलत है. मंदिर में महंत की नियुक्ति होनी चाहिए.' पाराशर ने कहा कि आदि अनादि काल से मंदिर में महंत की परंपरा रही है. पिछले काफी लंबे वक्त से मंदिर में महंत नहीं है यह अपशगुन है.

पाराशर ने बताया कि मंदिर की भूमि पर साधु संतों के श्मशान पर एंट्री प्लाजा बनाना उचित नहीं था. यह पुरातत्व महत्व का स्थान है. पुरातत्व महत्व ने इस पर आपत्ति जताई है और कलेक्टर को नोटिस भी दिया था, तब से एंट्री प्लाजा का काम बंद पड़ा है .

महंत दावेदार

महंत के लिए हैं कई दावेदार

जगतपिता ब्रह्मा मंदिर में महंत के दावेदारों के बीच विवाद को लेकर अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. ब्रह्मा मंदिर के महंत के दावेदार प्रज्ञान पूरी कहते हैं कि जैसे न्यायपालिका जज के बिना, जिला कलेक्टर के बिना नहीं चल सकते, वैसे ही महंत के बिना मंदिर नहीं चल सकते. महंत परंपरा के तहत मंदिर में पारंपरिक रीति-रिवाजों को पूरा किया जाता है. इसमें भक्त और भावनाओं का सम्मिश्रण होता है. सरकारी स्तर पर की जाने वाली व्यवस्थाओं में भावनाएं नहीं औपचारिकताएं होती हैं.

मंदिर में महंत नहीं होने से मंदिर में धार्मिक व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई है. महंत दावेदार प्रज्ञान पुरी ने तत्कालीन वसुंधरा सरकार को ईस्ट इंडिया कंपनी की संज्ञा देते हुए कहा कि सरकार ने मंदिर पर कब्जा किया लेकिन कोई बदलाव नहीं आया, बल्कि स्थानीय राजनीतिज्ञों ने भी इस मंदिर की व्यवस्थाओं को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

प्रशासन बरत रहा लापरवाही

उन्होंने कहा कि देश के प्रमुख मंदिरों में जगतपिता ब्रह्मा के मंदिर का विशिष्ट स्थान है, लेकिन प्रशासन की कमजोर क्षमता के चलते जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. उन्होंने बताया कि मंदिर की संपत्तियों पर कब्जे हो गए हैं. इन्हें देखने वाला कोई भी नहीं है. उन्होंने कहा कि नए कलेक्टर दो बार पूछ कर आए हैं, लेकिन प्रबंध समिति के अध्यक्ष होने के बावजूद उन्होंने एक बार भी मंदिर में आकर व्यवस्थाओं का जायजा नहीं लिया है.

करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र जगतपिता ब्रह्मा मंदिर

मंदिर के पुजारी रामनिवास वशिष्ठ बताते हैं कि मंदिर में धार्मिक क्रियाकलापों और व्यवस्थाओं में सरकार का दखल नहीं होना चाहिए. यह व्यवस्थाएं महंत के जरिए ही भगवान और भक्त के बीच की भावना के अनुरूप होती है. सरकारी तौर पर केवल खानापूर्ति की जाती है. मंदिर में महंत की नियुक्ति होनी चाहिए, ताकि परंपराओं के अनुसार मंदिर में धार्मिक क्रियाकलाप होते रहें.

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उन्होंने कहा कि सरकार को कम आय वाले मंदिरों के सार संभाल की व्यवस्था करनी चाहिए. जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के कोष में 10 करोड़ हैं. मंदिर स्वयं अपनी व्यवस्थाएं देख सकता है. उन्होंने बताया कि मंदिर की कई संपत्तियां है, जिसके बारे में प्रबंध समिति को भी नहीं पता है.

जगतपिता ब्रह्मा के मंदिर में करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. ऐसे में भक्त भी चाहते हैं कि मंदिर में धार्मिक क्रियाकलाप परंपरा अनुसार हो. इसके लिए शीघ्र ही महंत की नियुक्ति हो, लेकिन साथ में लोग यह भी चाहते हैं कि सरकार जगतपिता ब्रह्मा मंदिर ट्रस्ट मंदिर में व्यवस्थाओं को सुचारू करने में अपना योगदान दे, ना कि स्वयं मंदिर को कमाई का जरिया बना ले.

Last Updated : Aug 14, 2020, 6:40 PM IST

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