अजमेर.केंद्र सरकार के किसान बिल का कांग्रेस विरोध कर रही है. अजमेर में भी कांग्रेस पदाधिकारियों ने किसान बिल का विरोध जताते हुए राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा. कांग्रेस पदाधिकारियों का आरोप है कि किसान बिल किसानों को फायदा पहुचाने के लिए नहीं, बल्कि बड़े उद्योग घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए लाया है. कांग्रेसियों ने विरोध स्वरूप जिला मुख्यालय के बाहर बिल की प्रतियां भी जलाई. हालांकि जिले में धारा 144 लागू होने के कारण कांग्रेसी केंद्र सरकार के किसान बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन नहीं कर पाए.
अजमेर शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष अमोलक सिंह छाबड़ा ने केंद्र सरकार के किसान बिल की निंदा करते हुए कहा कि इस बिल से किसानों को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि पूंजीपति किसानों की फसलों का लाभ उठाएंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने लाभ में चलने वाले सभी सरकारी उपक्रमों को गर्त में डालने का काम किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कांग्रेस से 70 साल का हिसाब मांगती है, लेकिन पहले खुद ही ये बताएं कि 7 साल में गरीब किसान और मजदूर वर्ग के लिए मोदी सरकार ने क्या किया है.
पढ़ें:बीकानेर: कोरोना से जागरूकता को लेकर एसपी और कलेक्टर ने किया फ्लैग मार्च
वहीं, अजमेर शहर कांग्रेस के प्रवक्ता वैभव जैन ने कहा कि कृषि उपज वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) के तहत केंद्र सरकार वन नेशन वन मार्केट की बात कह रही है. सरकार का दावा है कि ये बिल किसानों को उनकी उपज देश में किसी भी व्यक्ति या संस्था खेतिया व्यापारिक प्लेटफार्म पर बेचने की इजाजत देगा, लेकिन वास्तविकता ये है कि इससे कृषि उपज विपणन समितियां समाप्त हो जाएगी और सभी को कृषि प्रोडक्ट खरीदने बेचने की इजाजत मिल जाएगी. इसके अलावा मंडी व्यवस्था खत्म हो जाने से ना केवल व्यापारियों की मनमानी बढ़ेगी, बल्कि वो फसल की खरीद किसी भी दाम पर कर सकेंगे. देश के लाखों आढ़तियों, मंडी मजदूरों और खेत में काम करने वाले मजदूर का रोजगार छिन जाएगा.
अजमेर में कांग्रेस ने जलाई किसान बिल की प्रतियां उन्होंने कहा कि मूल आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता के तहत केंद्र सरकार का मानना है कि व्यावसायिक खेती का समझौते वक्त की जरूरत है. साथ ही छोटे और सीमांत किसान ऊंचे मूल्य की फसलें उगाना चाहते हैं. लेकिन, उन्हें अक्सर पैदावार का जोखिम उठाना पड़ता है और वो घाटा सहते हैं. इसलिए किसान अपना ये जोखिम कॉर्पोरेट खरीदारों को सौंपकर फायदा कमा सकेंगे. लेकिन, इस बिल के जरिए कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके फलस्वरुप कंपनियां खेती करेंगी और हमारा किसान मजदूर बनकर रह जाएगा, उसकी सुरक्षा की भी कोई गारंटी नहीं होगी.
पढ़ें:श्रीगंगानगरः किसान मजदूर व्यापारी संघ ने कलेक्ट्रेट का किया घेराव, जमकर किया विरोध-प्रदर्शन
अजमेर शहर कांग्रेस के प्रवक्ता वैभव जैन ने बताया कि आवश्यक वस्तु ( संशोधन) के माध्यम से केंद्र सरकार अनाज दलहन खाद्य तेल आलू एवं प्याज को अनिवार्य वस्तुओं की सूची से हटा कर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मुक्त करने का दावा कर रही है. साथ ही सरकार का मानना है कि इससे निजी भूमि क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. लेकिन, वास्तविकता ये है कि एसेंशियल एक्ट 1955 में बदलाव करने से कालाबाजारी बढ़ेगी. कृषि उपज को जमा करने की अधिकतम सीमा तय करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए पैसेंजर एक्ट 1955 बनाया गया था. लेकिन, नई व्यवस्था में स्टॉक लिमिट को ही हटा लिया गया है. इससे ना केवल जमाखोरी बढ़ेगी, बल्कि कालाबाजारी को भी मजबूती मिलेगी. जैन ने बताया कि केंद्र सरकार के तीनों बिलों में बहुत सी खामियां देखने को मिली हैं. इससे ना केवल किसानों को नुकसान होगा, बल्की मंडी मजदूर और खेत मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे. इससे फायदा केवल व्यापारियों और बिचौलियों का होगा. ये बिल किसानों को व्यापारियों की मनमर्जी के आगे बेबस कर देगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बिल का पुरजोर विरोध करती रहेगी.