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उप तहसील स्तर पर आनलाइन भू-अभिलेख प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला जिला बना उदयपुर

डिजिटल इण्डिया लैण्ड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के अन्तर्गत उदयपुर प्रदेश का प्रथम जिला बन गया है. अब उप तहसील स्तर पर ही भू-अभिलेख से संबंधित सभी कार्य हो जाएंगे. इसके लिए अब ग्रामीणों और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को तहसील कार्यालय तक नहीं जाना पडे़गा. 

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उप तहसील स्तर पर ऑनलाइन भू-अभिलेख प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला जिला बना उदयपुर

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Published : Mar 25, 2021, 9:46 PM IST

उदयपुर. जिले में अब उप तहसील स्तर पर ही भू-अभिलेख से संबंधित सभी कार्य हो जाएंगे. इसके लिए अब ग्रामीणों और राजस्व विभाग के कर्मचारियों को तहसील कार्यालय तक नहीं जाना पडे़गा. डिजिटल इण्डिया लैण्ड रिकॉर्ड मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम के अन्तर्गत उदयपुर प्रदेश का प्रथम जिला बन गया है, जिसकी समस्त उपतहसीलों को राजस्थान अपना खाता (ई-धरती) ऑनलाइन पोर्टल पर पृथक से उप-तहसील लॉगिन दिया गया है. उपतहसील क्षेत्र कुराबड़, बारापाल, सनवाड़, सायरा, फलासिया, गीगला, झल्लारा, जयसमन्द, नयांगाव, और मेरपुर में आने वाले समस्त राजस्व गांवों के जमाबंदी प्रतिलिपि, नक्शा प्रतिलिपि, नामान्तरण सहित भू-अभिलेख से संबंधित समस्त कार्य अब उपतहसील अपना खाता केन्द्र पर हो जाएंगे.

उप तहसील स्तर पर ऑनलाइन भू-अभिलेख प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला जिला बना उदयपुर

बचेगा समय और धन

एनआईसी उदयपुर के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक जितेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा के विशेष प्रयासों से उपतहसील रिसोर्स व्यक्ति की आईडी ई-धरती पोर्टल पर एक्टिवेट की जा चुकी है. उपतहसील स्तर पर अपना खाता (ई-धरती) ऑनलाइन पोर्टल सक्रिय होने से अब भू-अभिलेख से संबंधित कार्यों के लिए तहसील नहीं जाना पडे़गा. उदाहरण के लिए सायरा उपतहसील के नामांतरण संबंधित कार्य के लिए पटवारी को पहले गोगुन्दा तहसील जाना पड़ता था, लेकिन अब सायरा उपतहसील कार्यालय से ही यह कार्य हो जाए, इससे ऑनलाइन म्यूटेशन के कार्य में प्रगति आएगी. पटवारियों का समय और ऊर्जा भी बचेगी तथा आमजन को बड़ी राहत मिलेगी.

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इनका रहा महत्त्वपूर्ण योगदान

प्रदेश में सबसे पहले इस व्यवस्था को लागू कराने में अतिरिक्त जिला कलेक्टर, (प्रशासन) ओपी बुनकर, प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख डॉ. सौम्या झा, तकनीकी निदेशक, एनआईसी उदयपुर डॉ. मजहर हुसैन, जिला पटवार संघ अध्यक्ष पंकज पालीवाल एवं जिला रिसोर्स परसन अनिता राठौड़ का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा.

क्या है ई-धरती पोर्टल

अपना खाता राजस्थान पोर्टल को ई-धरती के नाम से भी जाना जाता है. इस पोर्टल के माध्यम से समय की बचत होगी तथा प्रणाली में भी पारदर्शिता आएगी. इस पोर्टल के माध्यम से यह भी पता लगाया जा सकता है कि किस व्यक्ति पर नाम पर कौन-सा खसरा नंबर है या फिर किस भूमि का मालिक कौन है. अपना खाता राजस्थान द्वारा प्राप्त किए गए भूमि के दस्तावेज दिखाकर बैंक से लोन भी प्राप्त किया जा सकता है.

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