शहीद भवन में लेखक सतीश साडूके के नाटक 'राख से उड़ा पंछी' का हुआ मंचन - नाटक
भोपाल। लेखक सतीश साडूके और निर्देशक सिद्धार्थ दाभाड़े के नाटक 'राख से उड़ा पंछी' का शहीद भवन में मंचन किया गया. इस नाटक में बताया गया कि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है. जिसका जन्म हुआ है, उसे इस लोक से एक ना एक दिन तो जाना ही है. लोक से परलोक तक पहुंचने में मनुष्यों की जो सहायता करते हैं, वो श्मशान कर्मी हैं, जिनके जीवन की डोर या आजीविका का साधन मृत्यु से जुड़ा है. जिस समय मनुष्य को मृत्यु व्यथित कर रही होती है, उस दिन श्मशान कर्मी के घर में खुशी का माहौल होता है, क्योंकि उस दिन उसके घर में चूल्हा जलता है. तीसरे दिन उठाने पर मुर्दे के पसंद के पकवान यदि श्मशान के कुत्ते से बच गए, तो डोम के बच्चे के काम आते हैं. इन्हीं भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमता डॉक्टर सतीश का नाटक 'राख से उड़ा पंछी' एक ओर समाज के दर्द को बयां करता है.
Last Updated : Nov 5, 2019, 7:42 AM IST