ग्वालियर। व्यापमं फर्जीवाड़ा मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने राहुल यादव को चार साल के सश्रम कारावास की सजा से दंडित किया है. उस पर साढे़ बारह हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है. खास बात यह है कि इस मामले में फरियादी बने आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने तीन साल तक कोर्ट के आदेश के बावजूद अपने बयान दर्ज नहीं कराए. आखिरकार सीबीआई कोर्ट ने उसकी गवाहे के अधिकार को ही खत्म कर दिया था, लेकिन परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर राहुल यादव को यह सजा सुनाई गई है. उसके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र परीक्षा अधिनियम धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने की धाराओं में स्थानीय झांसी रोड थाने में मुकदमा दर्ज था. इस मामले में उसके भाई और सहयोगी रहे दीपक यादव को बरी कर दिया गया है. मामला दरअसल पीएमटी परीक्षा 2004 से जुड़ा हुआ है. कक्षा 12वीं में राहुल यादव को सप्लीमेंट्री आई थी, लेकिन उसने पीएमटी परीक्षा दी और चयन होने पर कक्षा 12 में आई सप्लीमेंट्री की जानकारी व्यवसायिक परीक्षा मंडल से छुपाई. उसने अपने दस्तावेजों के साथ अंकसूचियां चोरी होने की रिपोर्ट भी भोपाल के जीआरपी थाने में 24 जुलाई 2004 को दर्ज कराई थी. काउंसलिंग के दौरान भोपाल जीआरपी में दर्ज एफआईआर का हवाला दिया और बाद में दस्तावेज पेश करने का उसकी ओर से भरोसा दिया गया, लेकिन राहुल यादव ने डिग्री पूरी कर ली और बॉड की अवधि पूरी होने तक मूल दस्तावेज जमा नहीं किए. चिकित्सा महाविद्यालय यानी गजरा राजा मेडिकल कॉलेज एवं संचालक चिकित्सा शिक्षा भोपाल ने भी उसके एडमिशन को कई सालों तक निरस्त नहीं किया. इसकी शिकायत आशीष चतुर्वेदी आरटीआई एक्टिविस्ट ने सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजीव टंडन के समक्ष पेश की थी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि फर्जी छात्रों को प्रवेश दिलाने में चिकित्सा महाविद्यालय संचालनालय चिकित्सा शिक्षा के अधिकारी कर्मचारी मिलकर सहयोग करते हैं. इसी आधार पर कोर्ट ने उसके पहले अपराध के तर्क को भी दरकिनार कर दिया और उसे विभिन्न धाराओं में 4 साल के सश्रम कारावास की सजा और साढे बारह हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:36 PM IST