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इस गांव में दशहरें पर नहीं होता रावण का दहन, होती है महाआरती - विदिशा

विदिशा जिले में एक गांव ऐसा है जिसे रावण के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि इस गांव के लोग रावण को अपना भगवान मानते हैं. जब पूरे देश में दशहरे पर रावण का दहन किया जाता है. उस दिन रावण गांव में रावण की महाआरती की जाती है.

रावण का गांव

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Published : Oct 8, 2019, 3:16 PM IST

विदिशा।आज पूरे देश में रावण का दहन किया जा रहा है. लेकिन विदिशा जिले के नटेरन तहसील में एक गांव ऐसा भी है जहां रावण का दहन नहीं बल्कि उसकी महाआरती की जाती है. क्योंकि इस गांव को ही रावण के नाम से जाना जाता है. जहां के लोग जय लंकेश के नारे लगते हैं.

विदिशा जिले का रावण गांव

इस गांव को रावण का गांव कहा जाता है. जहां उनका मंदिर में भी बना है. जहां रावण की प्रतिमा शयन मुद्रा में विराजमान है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कोई भी शुभ कार्य से पहले रावण की पूजा होती है बगेर पूजा के कोई भी कार्य पूरा नहीं हो पाता. गांव वालों की मान्यता है कि रावण के दरबार में बगैर हाजिरी लगाएं कोई भी काम पूरा नहीं होता. गांव में शादी विवाह की शुरुआत भी रावण के आगे मत्था टेकने के बाद ही होती है.

रावण गांव की महिलाएं बताती है. कि हमारे पूर्वज भी रावण देवता को पूजते थे और हम भी पूज रहे हैं. रावण देवता हमारे कुल देवता हैं हमारे गांव में कभी रावण दहन नहीं हुआ बल्कि रावण बाबा की आरती पूजा अर्चना की जाती है सारा गांव बाबा रावण को खुश करने में जुटा होता है.

पौराणिक कथा से जुड़ा है गांव का महत्व
मंदिर में पूजा अर्चना कर आने वाले पुजारी नरेश तिवारी एक पौराणिक कथा को इस क्रम में जोड़ते हुए बताते हैं रावण के पास एक पहाड़ी पर एक बलशाली दैत्य रहता था. वह रावण से युद्ध करने की इच्छा रखता था युद्ध करने की इच्छा से ही दैत्य लंका गया लेकिन रावण के सामने आते ही वो शक्तिहीन हो जाता. रावण ने हमेशा उसे दरबार में देखकर पूछा तुम यहां रोज आते हो कारण बताओ उस दैत्य ने कहा लंका पति मैं आप से युद्ध करने के लिए आता हूं पर आपके आगे ही मैं अपनी शक्तियां खो देता हूं.

रावण ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया तुम जहां से भी आए हो वही मेरी एक मूर्ति की स्थापना करो उस मूर्ति से तुम युद्ध करना जब मूर्ति से तुम युद्ध जीत लोगे तब मुझसे युद्ध करने की सोचना. बूदों की पहाड़ी के दैत्य ने रावण की मूर्ति की स्थापना की और उस मूर्ति से युद्ध करना शुरू कर दिया वह दैत्य रावण की मूर्ति से हजारों बार पराजय हुआ तभी से यह मान्यता है. यह बहुत शक्तिशाली मूर्ति है तभी से इस मूर्ति की यहां पर पूजा अर्चना की जाती है.

पुजारी ने ऐसे कई किस्से बताएं जो रावण बाबा के मंदिर से जुड़े हुए हैं तिवारी बताते हैं भगवान गणेश का जाप ओर भंडारा भी यहां बगैर रावण की अनुमति से संभव नहीं है. खास बात तो यह है इस पूरे ग्राम में कोई और समाज नहीं बल्कि ब्राह्मण समाज के लोग निबास करते है प्रचीन विशाल गांव है पूरे ग्राम के लोग रावण को अपना कुल देवता मानते हैं

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