विदिशा। राज्य सरकार भले ही राइट टू हेल्थ की बात करती है, प्रदेश को निरोगी बनाने के सपने देखती है, स्वास्थ सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा भी कर रही है, लेकिन इन दावों की पोल नसबंदी शिविर में ही खुल गई. ग्यारसपुर स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था, जहां ऑपरेशन के बाद महिलाओं को जमीन पर लिटा दिया गया. सर्दी में इस तरह महिलाओं को जमीन पर लिटा कर अस्पताल प्रबंधन ने उनकी मुसीबतें और बढ़ा दीं. मामला बढ़ता देख स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया.
स्वास्थ्य सुविधाओं की खुली पोल, नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद 41 महिलाओं को फर्श पर लिटाया
राइट टू हेल्थ की बात करने वाली सरकार में नसबंदी के बाद 41 महिलाओं को फर्श पर लिटा दिया गया, अस्पताल प्रबंधन उन्हें एक बेड तक मुहैया नहीं करा सका.
विदिशा के ग्यारसपुर स्वास्थ्य केंद्र पर महिला नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था. शिविर में 41 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया, लेकिन ऑपरेशन के तत्काल बाद ही उन महिलाओं को अस्पताल परिसर में ही फर्श पर लिटा दिया गया. उन महिलाओं को एक बेड तक नसीब नहीं हो सका. ठंड के मौसम में नसबंदी का ऑपरेशन कराने वाली महिलाओं में संक्रमण फैलने के खतरे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया.
विदिशा सीएमचओ खिलान सिंह ने ग्यारसपुर के डॉक्टरों की लापरवाही को गंभीर माना है और तत्काल जांच के आदेश दिए हैं.