विदिशा।कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के कारण कारोबार पर छाए काले बादल अनलॉक में भले ही छंट गए हों, लेकिन लॉकडाउन के असर से कई तरह के व्यापार अभी भी पटरी पर नहीं लौट पाए हैं. ऐसा ही कुछ हाल है सोने का, जिसका भाव अनलॉक में भले ही 50 हजार 5 सौ से ऊपर पहुंच गया हो, लेकिन इससे जुड़े कारोबारियों का व्यापार अभी भी लॉकडाउन वाले हालात में ही है. विदिशा के सोना व्यापारी बताते हैं, कि कभी सीजन में 10 से 15 करोड़ का सोना चांदी का व्यापार हो जाता था, लेकिन अनलॉक में व्यापार अब महज 10 प्रतिशत ही बचा है.
लॉकडाउन के असर से नहीं उबरा ज्वैलरी कारोबार 10 से 15 प्रतिशत तक सिमटा व्यापार
विदिशा का नामचीन अलंकार ज्वेलर्स के मालिक 94वें साल के सेहतचंद जैन करीब 54 साल से सोने का व्यापार कर रहे हैं. उन्होंने इस तरह के हालात कभी नहीं देखे. वो बताते हैं लॉकडाउन के पहले सोने चांदी का व्यापार 100 प्रतिशत था. जो आज 10 से 15 प्रतिशत तक सिमट कर रह गया है. लॉकडाउन भले ही खुल गया हो, लेकिन मार्केट को पटरी पर आने में अभी बहुत वक्त लगेगा. हाल ही में तो शादियों का सीजन भी खत्म हो गया है और अब जो शादियां हो भी रही हैं उनमें कई पाबंदियों और कम हुई कमाई के कारण लोग सोने की ओर रुख कम ही कर रहे हैं.
ग्राहक मान जाते हैं बुरा
इसी तरह राजीव जैन भी बताते हैं की पहले बिजनेस बहुत अच्छा था, पर अब तो केवल स्टाफ ही मैनेज हो पा रहा है. लॉकडाउन खुलने के बाद जितनी उम्मीदें थी वो पूरी नहीं हो पाई. टर्नओवर जितना होना था वो पूरा भी नहीं हो पाया सबके दिमाग में कोराना वायरस छाया हुआ है. पहले ज्वेलरी ग्राहकों को घर ले जाने दी जाती थी, लेकिन अब हाथ लगाने की अनुमति नहीं दी जाती. कुछ लोगों को बुरा भी लगता है पर सावधानी बरतनी पड़ती है.
लॉकडाउन के असर में ज्वैलरी कारोबार 12 से 15 करोड़ का होता था व्यापार
सराफा एसोसिएशन के सचिव केजी जौहरी भी इन दिन दुकान पर हर रोज सोने के भाव देखकर अपना समय बिता रहे हैं. केजी जौहरी बताते हैं कि मार्केट पूरी तरह से शून्य है. स्टाफ का खर्चा निकलना भी मुश्किल हो रहा है. जो सीजन विदिशा का 12 से 15 करोड़ का होता था आज 10 परसेंट बचा है.
लॉकडाउन का असर अब भी जारी है
सोने चांदी व्यापारियों पर लॉकडाउन के काले बादल तो छट गए पर अपने पीछे उस काले साये का असर छोड़ गए. विदिशा में तकरीबन 200 ज्वेलरी दुकानें हैं, जहां इन दिनों ग्राहक नदारद रहते हैं. सर्राफा व्यापारियों की माने तो लॉकडाउन खुलना या न खुलना उनके लिए बराबर है, क्योंकि शादियों का पीक सीजन निकल चुका है, ऐसे में अब सोना चांदी कौन खरीदेगा. जो कुछ ज्वेलरी का व्यापार अन्य कामों के लिए होता था वो भी लॉकडाउन से पनपी बेरोजगारी और किसानों के नुकसान के कारण लगभग न के बराबर ही है.